आमतौर पर समाज में यह धारणा बनी है कि फसलों में अत्यधिक पेस्टीसाइड यानी कीटनाशक के इस्तेमाल से कैंसर जैसा भयानक रोग होता है। लेकिन, रिसर्च में जो सच सामने आया है उसके मुताबिक कीटनाशक दवाइयों के उपयोग से कैंसर नहीं होता है।
जेआरएफ की रिपोर्ट के मुताबिक जीवों पर होने वाले कैंसर का कीटनाशक से कोई संबंध नहीं है। कीटनाशकों और दूसरी एग्रो-केमिस्ट्री से जुड़े उत्पादों पर तीन दशक से अधिक समय से रिसर्च कर रही मशहूर कंपनी जय रिसर्च फाउंडेशन (जेआरएफ) के निदेशक डॉ. अभय देशपांडे ने कीटनाशक से कैंसर होने की मिथक को महज भ्रांति बताया है। उन्होंने कहा कि अगर कीटनाशक की वजह से कैंसर होता तो सरकार कब का इस पर प्रतिबंध लगा चुकी होती।
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश बना है तो इसका श्रेय कीटनाशक दवा को जाता है। कीटनाशक दवाइयां विभिन्न प्रकार के कीट पतंगों और वार्म से फसल की सुरक्षा कर उत्पादन बढ़ाने में अहम योगदान देते हैं। डॉ. देशपांडे ने अपने संस्थान में एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने 50 चूहों पर प्रयोग किया कि इसमें से 20-25 चूहे बिना किसी वजह के कैंसरग्रस्त हो जाते हैं। यही स्थिति इंसानों में भी है।
कुछ लोग जीवनशैली में बदलाव या दूसरी वजह से कैंसर की गिरफ्त में आते हैं जबकि रिसर्च के बारे में शून्य जानकारी रखने वाले कथित एनजीओ और उसके कार्यकर्ता कीटनाशक दवा को जिम्मेदार ठहराते हैं। देशपांडे ने बताया कि दुनिया में कीटनाशक के इस्तेमाल के मामले में भारत 11 वें क्रमांक पर है।
देश में पंजाब और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनो राज्यों में मछली का भी सबसे अधिक उत्पादन होता है। अगर, कीटनाशक से कैंसर होता तो सबसे पहले मछलियां ही मर जातीं।
स्त्रोत : अमर उजाला
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