उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) का ऐलान हो चुका है. यहां 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए 10 फरवरी से 7 मार्च तक 7 चरणों में चुनाव होंगे. वहीं, 10 मार्च को चुनाव के नतीजे (UP Election results) आएंगे.
बता दें कि यूपी में 7 चरणों (Seven Phase) के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान (Voting) होगा. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव 2022 में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनितिक दल अपने – अपने मुद्दों पर निशाना सादे हुए हैं. मगर इस बार यह चुनाव उत्तर प्रदेश जिले बीजेपी दल के लिए फायदेमंद साबित नहीं हो रहा है.
बताया जाता है कि साल 2017 में पश्चिम उत्तर प्रदेश की 58 सीटों में से भाजपा को 53 सीटें मिली थी, तो सपा और बसपा को इस क्षेत्र से दो-दो सीटें मिली थी, लेकिन इस बार सीटों का समीकरण उलट नजर आ रहा है. इस चुनाव में सपा – रालोद गठबंधन को जाटलैंड में बड़े फायदे का अनुमान लगाया जा रहा है.
कृषि कानून का मुद्दा बीजेपी के लिए बना मुसीबत (The Issue Of Agriculture Law Has Become A Problem For BJP)
पश्चिमी यूपी में विधानसभा चुनाव का सबसे बड़ा संग्राम छिड़ा हुआ है, तो ऐसे में सभी दल जोर-शोर से तैयारी में जुटे हैं. यूपी चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिमी यूपी यानि जाटलैंड की सियासत हो रही है, जहां पहले चरण में ही वोटिंग होनी है.
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दरअसल, साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के बाद ये इलाका एकतरफा बीजेपी के पाले में चला गया था, लेकिन हाल में हुए किसान आंदोलन और खेतों को नुकसान पहुंचा रहे आवारा पशुओं का मुद्दा इस इलाके के वोटों की गणित को इतना बदल दिया है कि किसानों के खेतों में घूम रहे आवारा पशु इस बार बीजेपी को चुनाव में नुकसान करा सकते हैं. अनुमान है कि इस बार भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में 2017 के मुकाबले 15 से 20 सीटों का नुकसान हो सकता है.
सपा रालोद गठबंधन को फायदा (SP RLD Alliance Benefits)
इस बार किसानों की नाराजगी भाजपा दल पर जोरों से दिखाई देगी. अगर ओपिनियन पोल के आंकड़े की बात करें, तो पश्चिम उत्तर प्रदेश की 71 सीटों में से भाजपा को 33 से 37 सीटें मिलने की ही उम्मीद है. वहीं इतनी ही सीटें सपा और रालोद गठबंधन को मिलेंगी, जबकि पिछली बार सपा को 2 सीटें और रालोद को 1 सीट मिली थी.
इससे यह तय है कि जहां एक तरफ भाजपा को जाटलैंड में नुकसान हो रहा है. तो वहीं सपा -रालोद गठबंधन को बड़ा फायदा मिलने की सम्भावना है. वहीँ, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शरद प्रधान बताते हैं कि जाटलैंड में इस बार सपा रालोद गठबंधन को फायदा होगा. वहीं किसानों की नाराजगी से भाजपा को नुकसान भी होना तय है. हालांकि इस बार भाजपा फिर से ध्रुवीकरण का सहारा ले रही है. कैराना में हिंदुओं के पलायन के मुद्दे को फिर से उछाला जा रहा है.
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