पिछले कुछ दिनों में हुई लगातार बारिश के कारण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.
इग्रेन इंडिया के अनुसार, चने की फसल में लगभग 10% नुकसान देखा गया है, जबकि गेहूं की फसल को लगभग 15-20% का नुकसान हुआ है. हालांकि सरसों की फसल में कोई नुकसान नहीं हुआ है. केडिया कमोडिटी कॉमट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अजय केडिया ने कहा, फसल के नुकसान का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी क्योंकि मौसम ब्यूरो ने आने वाले अगले कुछ दिनों में बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि की भी भविष्यवाणी की है.
उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य माने जाते हैं. यहां पर लगभग 50% फसलों की कटाई अभी बाकी है. मौसम ब्यूरो द्वारा खराब मौसम के पूर्वानुमान से खेतों में पहले से ही प्रभावित फसलों को और नुकसान हो सकता है. हालांकि, कृषि मंत्रालय आशावादी है कि इससे उत्पादन बिल्कुल भी प्रभावित नहीं होगा. मंत्रालय ने फसल के जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए आकलन टीमों को सभी राज्यों को भेज दिया है. यह टीमें अप्रैल के मध्य तक अपनी रिपोर्ट सौपेंगी, तब जाकर रबी फसलों को हुए नुकसान की तस्वीर साफ हो पाएगी.
भारत मौसम विज्ञान विभाग दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान पर एक चक्रवाती परिसंचरण के कारण पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में बारिश और ओलावृष्टि का अनुमान लगाया है. मार्च में बारिश और ओलावृष्टि के कारण कटाई के काम में देरी हुई है, जिसके कारम अनाज की आपूर्ति में कमी हुई है.
कारोबारियों के मुताबिक, इंदौर की मंडियों में आज गेहूं का कारोबार 1,850-2,600 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि चना का भाव 5,250-5,300 रुपये प्रति क्विंटल पर है. राजस्थान के कोटा में सरसों के बीज की कीमतें 5,725 रुपये प्रति क्विंटल है.
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भारी बारिश और ओलावृष्टि से सरसों, चना और गेहूं जैसी प्रमुख फसलों के उत्पादन में कमी होने से देश की मुद्रास्फीति दर भी चिंता का विषय बन जाती है. नई फसलों के आगमन में लगभग 2 सप्ताह की देरी देखी जा रही है और उत्पादन में 8-10% की गिरावट का अनुमान है. मंहगाई को लेकर सरकार पहले से ही इस पर नजर बनाए रखी है.
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