पशुपालन को आय के लिए सफल जरिया बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने एक विशेष पशुप्रदर्शनी का आयोजन रखा है। इसके लिए पशुओं को कैटवाक व रैंपवाक कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पशुओं को इसके अन्तर्गत एक विशेष पहचान दिलाने का प्रयास है।
तो वहीं इस आयोजन से लोगों के अंदर पशुओं द्वारा हमारे वातावरण व पर्यावरण में क्या योगदान है इसका संदेश जाएगा। एक भाव जागेगा कि पशु उसी वातावरण में महत्वपूर्ण है जिसमें हम अपने आप को विशेष मानते हैं। राज्य की पशुपालन मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने कहा कि राज्य स्तर पर इस कार्यक्रम का आयोजन कराने के लिए सरकार तत्पर है। हम इसका सफल आयोजन करेंगे।
उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशुपालन पर भी ध्यान देना होगा। बेहतर बनाने की दिशा में नस्ल सुधार एवं रख-रखाव के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए। एक बैठक के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि मानसून के बाद ये आयोजन होंगे जिसमें कई प्रकार के कार्यक्रम शामिल हैं। जिनसे कृषि एवं पशुपालन के लिए जागरुकता बढ़ाई जाएगी।
जाहिर है कि खेती के साथ-साथ पशुपालन एक आमदनी का जरिया बनता है यह खेती से अलग निर्भरता के लिए जरूरी है। यह कई प्रकार से किसानों की मदद करता है। गोबर की खाद आदि आप के खेतों की भूमि की उर्वरता को बढ़ाती है।
पशुपालन की मंत्री का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में पशुओं के पालन के लिए स्वरोजगार स्थापित करने का प्रावधान किया जा रहा है। न्याय पंचायत स्तरीय महिला पैरा विड बनायी जाएंगी जो नस्ल सुधार पर कार्य करेंगी।
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