त्रिपुरा में चाय उगाने वाले किसान अब महंगी और उत्कृष्ट किस्म की व्हाइट टी ( सफेद चाय) का वृहद स्तर पर उत्पादन को शुरू करने वाले है. वह व्हाइट टी को लेकर पायलट परियोजनाओं के सफलतापूर्वक पूरा हो जाने के बाद राज्य में बड़े स्तर पर इसका उत्पादन कार्य शुरू हो गया है. इस राज्य के कुल 95 साल पुराने गोलेकपुर टी स्टेट ने इसी साल की शुरूआत में ही 10 हजार रूपये में एक किलोग्राम व्हाइट टी को बेचकर नए कीर्तिमान को स्थापित किया है. वहां के वाणिज्यिक प्रबंधक के मुताबिक इस चाय की विशिष्ट किस्म की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है. बता दें कि त्रिपुरा के सामान्यतः 58 बागानों से सालाना 90 किलोग्राम अधिक चाय का उत्पादन होता है.
चाय उत्पादन बढ़ाने पर जोर
प्रबंधक का कहना है कि इस साल हमने 30 किलोग्राम व्हाइट टी का उत्पादन किया है. उन्हें 10 हजार रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बेंगलुरू के खुदरा विक्रेता को टी बॉक्स बेचा है. डे ने कहा कि इस किस्म की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है इसीलिए हमनें इसकी किस्म का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है. हालांकि इसके उत्पादन में बहुत ज्याद ध्यान देने की जरूरत है.
बड़े पैमाने पर हो रहा चाय उत्पादन
राज्य के सबसे पुराने करीब 101 साल पुराने चाय बगान फतिकचेरा ने कहा है कि उसने इस साल 6.8 किलो व्हाइट टी का उत्पादन किया है. बागान ने इस चाय को 5 हजार 500 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा. इस बात पर चाय बगान के प्रबंधक जयदीप गंगुली ने कहा कि मेरे पास ग्रीन टी, उलोंग और ग्यूकोरू समेत चाय की विभिन्न किस्मों का अनुभव है जिसका उत्पादन यहां पर किया जाता है. वह कहते है कि इस साल उन्होंने व्हाइट टी को अपनाया है जिसका परिणाम सफल रहा है. उन्होंने बताया कि वह सालाना 1.5 लाख टन चाय का बेहतर उत्पादन करते है और उसको पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बेचते है. उनको 300 रूपये से 700 रूपये प्रति किलोग्राम की कीमत प्राप्त होती है.
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