1. Home
  2. ख़बरें

मजबूरी ऐसी कि सड़क पर टमाटर फेंकने के अलावा कोई और रास्ता नहीं...

इस मंहगाई के दौर में सभी लोग किसी न किसी तरह से रोजी रोटी जुटा पाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है एक किसान को जब फसल उत्पादन के बाद उस फसल की लागत का मूल्य भी न पाए तो वो अपनी रोजी रोटी कैसे चला पाता होगा, या शायद चला ही ना पाता हो.

इस मंहगाई के दौर में सभी लोग किसी न किसी तरह से रोजी रोटी जुटा पाते हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है एक किसान को जब फसल उत्पादन के बाद उस फसल की लागत का मूल्य भी न पाए तो वो अपनी रोजी रोटी कैसे चला पाता होगा, या शायद चला ही ना पाता हो.

ऐसा ही देखने को मिल रहा है इस समय देश की मंडियों में, जहां टमाटर की कीमत मात्र 1 रूपये है. इस कीमत में किसान को क्या मिलता होगा, जबकि ढुलाई का ही खर्चा इससे ज्यादा है. पटवन, मेहनताना इन सबका भी खर्चा इनसे अलग है. आप खुद बताइए ऐसी स्थित में किसान के पास इसे बर्बाद करने के अलावा क्या कोई रास्ता बचता है.

सोचिये उस किसान पर क्या बीतती होगी जब वो सब्जी मंडी ले जाता है बेचने के लिए और उसे वहां उचित दाम न मिलने के कारण उन्ही सब्जियों को फेकन पड़ रहा है. गुस्से से लाल किसानों ने कहा कि अगर खाद्य प्रसंस्करण उद्द्योग होता तो शायद उन्हें सब्जी इस तरह फेंकनी न पड़ती.

 

English Summary: Tomato Story Published on: 27 April 2018, 03:31 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News