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लोकल फॉर वोकलः बनारसी कारीगर की विदेशों में धूम, ग्रीस-रोम में बिक रहे हैं परिधान

यह जरूरी नहीं कि कमाई के लिए आप हमेशा चमक-धमक के पीछे भागें. आधुनकिता के इस दौर में भी संस्कृतियों का महत्व है. अपनी धरोहर, अपनी विरासत और अपनी पहचान पर गर्व करके भी आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. चलिए आज हम आपको सैयद हुसैन के बारे में बताते हैं. सैयद पेशे से तो एक सामान्य कारीगर है, लेकिन उनकी कला की धूम विदेशों में मची हुई है.

सिप्पू कुमार
सैयद हुसैन
सैयद हुसैन

यह जरूरी नहीं कि कमाई के लिए आप हमेशा चमक-धमक के पीछे भागें. आधुनकिता के इस दौर में भी संस्कृतियों का महत्व है. अपनी धरोहर, अपनी विरासत और अपनी पहचान पर गर्व करके भी आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. चलिए आज हम आपको सैयद हुसैन के बारे में बताते हैं. सैयद पेशे से तो एक सामान्य कारीगर है, लेकिन उनकी कला की धूम विदेशों में मची हुई है.

ग्रीस और रोम में बनारसी कपड़ों की धूम

दरअसल डिजाइनर परिधानों को बनाने में माहिर सैयद हुसैन ने पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल की बात को सच कर दिखा है. उनके द्वारा बनाए गए परिधानों को विदेशों में भी खूब पसंद किया जा रहा है. इस क्रिसमस के मौके पर सैयद हुसैन द्वारा बनाए गए कपड़ों की मांग ग्रीस और रोम में भी खूब रही.

क्रिसमस पर पादरियों को पसंद आए पोशाक

गौरतलब है कि ग्रीस और रोम के पादरियों को सैयद द्वारा बनाए परिधान इतने पसंद आए की क्रिसमस के दिन उन्होंने, इन्हीं परिधानों में त्यौहार मनाया. सैयद बताते हैं कि हर जगह की अपनी एक संस्कृति होती है, किसी भी व्यापारी के लिए इस बात को समझना जरूरी है कि संस्कृतियों के सम्मान से ही मुनाफा कमाया जा सकता है. मैंने ग्रीस और रोम के रहन-सहन और पोशाकों पर गहरा रिसर्च किया और अपने परिधानों में उन्हें शामिल किया, जो वहां के पादरियों को खूब पसंद आया.

मशीनी युग में हाथों का महत्व

सैयद द्वारा तैयार किए गए परिधान, गाउन या टोपी सब हाथों से बनाए जाते हैं. इस काम में मेहनत और धैर्य की जरूरत है. वो बताते हैं कि आज के समय में कपड़ों के निर्माण में कोई खास समय नहीं लगता, हर तरह का टारगेट समय-सीमा के अंदर मशीनों द्वारा पूरा किया जा सकता है. मशीनों द्वारा बनाए गए कपड़े अधिक फैंसी लगते भी हैं, लेकिन आज भी हाथ के काम का सम्मान है. भारत से कई तरह के परिधान व्यापारी रोम, ग्रीस और अमेरिका भेजते हैं, जिनमें अधिकतर उन्हें हाथों से पोशाक ही पसंद आता है.

संस्कृतियों को जिंदा रखना जरूरी

अपने परिधानों में सैयद भारतीय संस्कृतियों को दर्शाते हैं, वो कहते हैं कि आज के समय में युवा अपनी विरासत से दूर होते जा रहे हैं. वो फैशन को फॉलो करते हैं, इसलिए मैं परिधानों में भारतीय कलाओं को शामिल कर युवाओं को जड़ से जोड़ने की कोशिश करता हूं.

English Summary: this man of banaras earn good profit by vocal for local india movement know more about it Published on: 29 December 2020, 06:46 PM IST

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