किसान भाइयों यदि हमें कोई बीमारी या परेशानी होती है तो, हम भागकर डॉक्टर के पास जाते है. डॉक्टर फट से थर्मामीटर लगाकर बता देता है की आपको बुखार है या आपका बीपी बढ़ा हुआ है. मनुष्यों ने उन सभी मशीनों का इस्तेमाल किया जो उसके स्वास्थ्य के लिए है. लेकिन यदि किसी फसल को कोई बीमारी या परेशानी होती है तो उसके लिए फसल किसके पास जाए क्योंकि उसका डॉक्टर तो किसान है. अब फसल तो सीधा किसान के पास जाने से रही. लेकिन किसान अपनी फसल का हाल जानने के लिए खेत में अवश्य पहुँच जाता है. लेकिन फसल को किस समय कितने पानी की जरुरत है, कितने खाद की जरुरत है और कितनी मात्रा में फसल को नाईट्रोजन चाहिए यह सब जानना किसान के लिए थोडा मुश्किल है. परन्तु अब किसान आसानी से फसल की इन सब परेशानियों का पता लगा सकते है. किसान एक मशीन के माध्यम से इन सब बिमारियों का पता लगा सकते है.
इस मशीन का इस्तेमाल कर किसान फसल को होने वाले नुकसान से आसानी से बच जाते हैं क्योंकि वो इस मशीन का इस्तेमाल कर आसानी से फसल की बीमारियों और पोषक तत्वों की कमी के विषय में जान लेते हैं. यह एक छोटी सी सेंसर मशीन है जिसके माध्यम आसानी से फसल के मौजूदा हाल को जाना जा सकता है.
इस मशीन की सहायता से किसान भाई आसानी से जान सकते हैं कि उनकी फसल को कितनी मात्रा में पानी चाहिए, अगर फसलों को उर्वरकों की आवश्यकता है तो कितनी मात्रा में चाहिए. फसल को क्या बीमारी है वो भी ये मशीन फटाक से बता देती है. ग्रीन सीकर जैसे छोटे गैजेट्स फसलों के लिए सेंसर की तरह काम करते हैं। यह एक सेंसर मशीन है. जैसे ही इस मशीन को खेत में खड़ी फसल के किसी भी हिस्से पर ले जाते हैं, तो मशीन से लाल रंग की तरंगे यानी रोशनी निकलती है.
ये तरंगे पौधों से टकराकर खत्म हो जाती हैं, लेकिन खत्म होने से पहले वो मशीन को बता देती हैं कि फसल को किस चीज की अभी कमी है. इसी मदद से किसान खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की स्थिति का भी पता तुरंत लगा लेते हैं.
किसान भाई इस तरह की तकीनीकी का इस्तेमाल कर आसानी से फसलों का हाल पता कर सकतें है, तथा सही समय पर सही योजना बना कर आसानी से फसलों को होने वाली गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं.
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