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ये किसान कर रहे जैतून की खेती, मिला सरकार का पूरा साथ..

राजस्थान के किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनी जैतून की खेती के जल्द ही बेहतरीन व सकारात्मक परिणाम सामने आने वाले हैं. गत करीब दस वर्ष से इस खेती को प्रोत्साहित करने में जुटे कृषि विभाग के अधिकारी भी इसके परिणामों से उत्साहित हैं. बेहद छोटे स्तर पर प्रायोगिक तौर पर शुरू हुई जैतून की खेती आज प्रदेश के 13 जिलों में शुरू हो चुकी है. किसानों के खेतों में जैतून के पौधों पर हुई फ्लॉवरिंग को देखते हुए कृषि विभाग को इस बार इसका उत्पादन 100 टन होने की उम्मीद है.

राजस्थान के किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनी जैतून की खेती के जल्द ही बेहतरीन व सकारात्मक परिणाम सामने आने वाले हैं. गत करीब दस वर्ष से इस खेती को प्रोत्साहित करने में जुटे कृषि विभाग के अधिकारी भी इसके परिणामों से उत्साहित हैं. बेहद छोटे स्तर पर प्रायोगिक तौर पर शुरू हुई जैतून की खेती आज प्रदेश के 13 जिलों में शुरू हो चुकी है. किसानों के खेतों में जैतून के पौधों पर हुई फ्लॉवरिंग को देखते हुए कृषि विभाग को इस बार इसका उत्पादन 100 टन होने की उम्मीद है.

वर्ष 2008 में कृषि विभाग ने नवाचार के तौर पर प्रदेश के बीकानेर संभाग में अपने स्तर पर सरकारी फार्म पर 182 हैक्टेयर पर जैतून की खेती की शुरूआत की थी और उसके परिणाम देखे. परिणाम उत्साहजनक रहने पर किसानों को प्रोत्साहित करना शुरू किया. वर्ष 2014-15 से किसानों के लिए इसका कार्यक्रम शुरू किया गया. किसानों को निशुल्क जैतून के पौधे दिए. उसके बाद किसान आगे आए. उसका नतीजा यह हुआ कि आज प्रदेश के 13 जिलों में किसानों ने इसकी खेती शरू कर दी है. बीकानेर संभाग मुख्यालय समेत उसके श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिले के अलावा प्रदेश के झुंझुनूं, जोधपुर, जैसलमेर, अलवर, नागौर, टोंक, बारां और झालावाड़ जिलों में किसान इसे अपना चुके हैं.

इन जिलों में किसान के करीब 800 हैक्टेयर में जैतून की खेती हो रही है. इन 13 जिलों में से सात में जिलों में कृषि विभाग खुद भी सरकारी फार्मों पर जैतून की खेती कर रहा है. कृषि विभाग और किसानों को दोनों के क्षेत्रों को जोड़े तो आज प्रदेश में 982 हैक्टेयर पर जैतून की खेती लहलहा रही है. इसके परिणामों को देखते हुए आने वाले समय यह ग्राफ और बढ़ेगा. मौजूदा समय में इस फसल की सबसे अच्छी स्थिति बीकानेर संभाग में है

जैतून के उत्साहजनक परिणामों के बाद सरकार ने बीकानेर के लूणकरणसर में जैतून का तेल निकालने का प्लांट भी स्थापित कर दिया. चूंकि जैतून का पौधा चार पांच साल बाद उत्पादन देता है. लिहाजा अभी तक सरकारी फार्मों से ही उत्पादन आया है, क्योंकि वहां जैतून के पौधे आठ साल के हो चुके हैं. इस बार किसानों के खेतों से भी उत्पादन आने की उम्मीद है. किसानों के खेतों में जैतून के पौधों पर इस बार फ्लॉवरिंग भी अच्छी हुई है. ये किसान लूणकरणसर प्लांट पर अपनी फसल को बेच सकेंगे. यहां किसान को उस दिन के अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव के अनुसार उपज का मूल्य दिया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिदिन इसका नया भाव खुलता है.
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभी सरकार ने ही अपने स्तर पर 'राज ऑलिव' के नाम से अपना ब्रांड बाजार में उतारा है. प्रोत्साहन के तौर पर सरकार 700 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से जैतून के तेल को बेच रही है. लेकिन वह दिन दूर नहीं जब जैतून की खेती किसानों की पहली पंसद होगी.

English Summary: This farmer is cultivating olive groves, with the complete government. Published on: 26 March 2018, 11:29 PM IST

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