आज दुनिया में बहुत अधिक तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जिस कारण मौसमी गतिविधियां पूरी तरह से चरमराई हुई है और खेती-बाड़ी को नुकसान हो रहा है. ठंड के महीनों में गर्मी का आभास हो रहा है और गर्मियों के मौसम में ठंड लग रही है. बिन मौसम बरसात से जहां-तहां बाढ़ जैसे हालात होते जा रहे हैं. जलवायु के बदलने का मुख्य कारण नए-नए मशीन और उद्योग हैं. वैसे ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने या घटने में जानवरों, विशेषकर मवेशियों का बड़ा योगदान है.
मीथेन उत्सर्जन को करेगी कम
वैज्ञानिक ग्रीन हाउस गैसों को कम करने के लिए मवेशियों पर कई तरह के रिसर्च कर रहे हैं. इसी कड़ी में ब्रिटेन का एक स्टार्टअप बहुत अधिक तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है. दरअसल वहां अनोखे तरह का मास्क मवेशियों के लिए तैयार किया गया है, जो मीथेन उत्सर्जन को कम करने में सहायक है. इस मास्क के आने के बाद भारत के पशु वैज्ञानिकों में भी हलचल देखी जा रही है. हाल ही में इस बारे में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में बड़े सेमीनार का आयोजन हुआ.
इस तरह होता है उत्सर्जन
खबरों के मुताबिक वैज्ञानिकों ने जो मास्क बनाया है, वो मवेशियों के डकार और अधोवायु (पाद) को प्रभावित करता है. मीथेन उत्सर्जन में इन दो चीजों का बड़ा योगदान है. मवेशियों के इन दो प्रक्रियाओं से निकलने वाला मिथेन आम कार्बन डाइऑक्साइड से 90 गुना अधिक खतरनाक होता है.
मास्क से होने वाले फायदें
जीरो इमशन लाइवस्टोक प्रोजेक्ट (Zero Emission livestock Project) के नाम से बनाया गया ये मास्क आम बोल चाल की भाषा में जेल्प (Zelp) कहलाता है. इसके उपयोग से 60 प्रतिशत तक मीथेन उत्सर्जन को रोका जा सकता है. अगर इसका उपयोग सही से होता है, तो यह ग्रीन हाउस गैसों को कम कर सकता है.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों का कहना है कि कृषि सबसे अधिक मीथेन गैस से प्रभावित होती है. ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता फसलों को खराब कर सकती है. दुर्भाग्य से हमारे पास ऐसे रिसर्च कम है, जिसमें कृषि को मिथेन जैसे गैसों से बचाया जा सके. अगर ये मास्क मवेशियों द्वारा छोड़े जा रहे मिथेन गैस को कम करने में सहायक है, तो इसका उपयोग किया जाना चाहिए.
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