सितम्बर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नामीबिया से भारत लाए 8 चीतों को कूनों नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा था. इन्हें चीता परियोजना (Project Cheetah) के तहत हवाई रास्ते से नामीबिया से इंडिया लाया गया था. सूत्रों के अनुसार अब 18 फ़रवरी को चीतों का दूसरा जत्था भारत आएगा, जिसमें 12 चीतों को दक्षिण अफ़्रीका (South Africa) से भारत लाया जाएगा. इन्हें भी कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में ही छोड़ा जाएगा. इस तरह चीतों की कुल संख्या 20 हो जाएगी.
हालांकि भारत आ रहे 12 चीतों में नर और मादा की संख्या के बारे में फ़िलहाल कोई जानकारी साझा नहीं की गई है. पहले के 8 चीतों में 5 मादाएं और 3 नर थे. इन्हें पीएम मोदी (PM Modi) ने 17 सितम्बर को अपने जन्मदिन पर केएनपी में छोड़ा था. इन्हें विशेष एयरक्राफ़्ट से नामीबिया से देश में लाया गया था. भारत में चीता विलुप्त हो चुकी प्रजाति थी, लेकिन केंद्र सरकार के प्रयासों से सात दशक बाद फिर से इंडिया ने चीतों की रफ़्तार देखी. उस वक़्त ये ख़बर ख़ूब सुर्खियों में रही थी. 1952 में इंडिया में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था.
चीता प्रोजेक्ट (Project Cheetah)
चीता परियोजना एक राष्ट्रीय परियोजना है जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) और मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) शामिल हैं. यह दुनिया का पहला प्रोजेक्ट है जिसमें किसी मांसाहारी जानवर को हवाई मार्ग से लाकर किसी दूसरे महाद्वीप पर बसाया जा रहा है. इस राष्ट्रीय परियोजना के तहत नामीबिया, अफ़्रीका से चीतों को लाकर कूनो नेशनल मार्क, मध्य प्रदेश में बसाना है. कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि अफ़्रीकी प्रजाति के चीते ही भारत क्यों लाए जा रहे हैं, उसका जवाब ये है कि नामीबिया की सरकार भारत को बग़ैर किसी लागत के चीता देने को तैयार है. नामीबियाई चीतों का भारतीय जलवायु अनुकूल होना भी इसका बड़ा कारण है. चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत में ईरान से चीता लाने की बात चल रही थी पर कुछ वजहों से ऐसा नहीं हो सका.
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