आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में बाजी मार रही है। लेकिन तब भी अधिकतर जगह पर महिलाओं को उस तरह का दर्जा नहीं दिया जाता है जिनकी वह असल में हकदार है। आज हमारा समाज बदल गया है लेकिन फिर भी महिलाओं को पुरूषों से कम ही आंका जाता है। लेकिन आज हम आपको उस समुदाय के बारे में बताने जा रहे है जहां पर पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को तरजीह दी जाती है। उत्तरपूर्वी भारत के मेघालय के खासी और जयंतिया हिल्स के इलाके में रहने वाला खासी समुदाय मातृसत्तामत्कता के लिए काफी मशहूर है। यह सुनने में थोड़ा अजीब लगें लेकिन इस समुदाय की महिलाएं घर में सारे फैसले लेती है। यहां तक की बच्चों का उपनाम भी मां के नाम पर ही रखा जाता है।
खासी जनजाति का राज
खासी जनजाति के लोग मुख्य तौर पर मेघालय के खासी इलाके में बसे है। अगर इनकी आबादी के बारे में बात करें तो यह करीब 15 लाख है, लेकिन मेघालय के अलावा मणिपुर, बंग्लादेश के कुछ हिस्सों में इनकी संख्या देखने को मिलती है।
शादी के बाद ससुराल में रहते पुरूष
शादी के बाद पुरूष इस जगह पर महिलाओं की जगह पर ससुराल में रहता है। अगर दहेज प्रथा की बात करें तो यहां पर इस तरह का कोई चलन है ही नहीं। दरअसल खासी समुदाय में घर परिवार और समाज को संभालने की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है। इतना ही नहीं संपत्ति भी बेटे को नहीं परिवार की सबसे छोटी बेटी को ही दी जाती है। छोटी बेटी अपने माता-पिता का ख्याल रखने के लिए अपने माता-पिता के साथ ही परिवार में उनके साथ में रहती है। इसके अलावा उसका पति भी उसके साथ ही रहता है।
कब शुरू हुई परंपरा
इस समुदाय के लोगों का कहना है कि प्राचीन समय में पुरूष युद्ध के लिए लंबे समय तक काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते थे। जब वह घर में नहीं रहते थे तब उनकी गैर-मौजूदगी में सारे जिम्मा महिलाएं ही संभालती है। बस उसके बाद से ही यह रिवाज चली आ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि पहले इस समुदाय में महिलाएं बहुविवाह करती थी।
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