पिछले कुछ वर्षों से हमने देखा है की कृषि वैज्ञानिक अलग और नए शोध करने में सफलता हासिल कर रहे हैं। शोध के जरिए उन्होंने यह कई बार साबित किया है की किसी भी चीज़ पर काबू पाना इतना मुश्किल नहीं है। ऐसे ही पचंड बिमारी कैंसर को लेकर देश में कई तरह के शोध जारी हैं और इसी बीच गुजरात के वैज्ञाननिकों ने उसपर भी सफलता का एक कदम बढ़ाय है। गुजरात के जूनागढ़ में कृषि विश्वविद्दालय में जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने गाय मूत्र का उपयोग कर कैंसर कोशिकाओं को मारने के अपने पहले प्रयास में सफलता प्राप्त की है। उनका दावा है कि गाय मूत्र से अधिकांश प्रकार के सामान्य कैंसर जैसे मुंह, गर्भाशय, फेफड़ों, गुर्दे, त्वचा और स्तन का इलाज कर सकता है।
यह बात तो हम सब अच्छे से जानते हैं की कोई भी शोध इतना आसान नहीं होता है और उसमें समय भी लगता है। ऐसा ही इस शोध में भी हुआ है। इस शोध में भी वैज्ञानिकों को लगभग एक साल का वक्त लगा है।
शोध दल जिसमें सहायक प्रोफेसर श्रद्धा भट्ट और रुकामसिंह तोमर और शोध साथी कविता जोशी शामिल थे, ने एक वर्ष के प्रयोगों के बाद परिणाम प्राप्त किए। वैज्ञान्कों ने कहा "यह शोध बहुत जोखिम भरा था क्योंकि हमने सीधे बोतल में प्राप्त कैंसर कोशिकाओं पर प्रयोग किया था। भट्ट ने कहा, हमें एक दिन में कैंसर कोशिकाओं की विशेष संख्या को मारने के लिए आवश्यक गाय मूत्र की सटीक मात्रा मिली है। "अगला कदम इसे चूहे पर प्रयोग करना है। एक बार यह सफल होने के बाद, हम विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए मौखिक गोलियां तैयार करेंगे। "
तोमर ने कहा कि कीमोथेरेपी स्वस्थ कोशिकाओं को भी मार देती है जबकि गाय मूत्र केवल संक्रमित कोशिकाओं को मारता है।
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