भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, जापानी इन्सेफेलाइटिस, जीका वायरस, चिकनगुनिया आदि से मर जाते हैं. ये सभी बीमारियां मच्छरों से फैलती है. बदलते हुए समय के साथ अब तो सर्दी हो या गर्मी, मच्छरों का प्रकोप साल के 12 माह लगभग एक जैसा ही रहता है.
एंटी मच्छर उत्पाद से करोड़ों कमाती है कंपनियां
मच्छरों का आतंक कितना अधिक है, इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि हर साल तरह-तरह के एंटी मच्छर क्रीम, मशीन और लोशन बनाने वाली कंपनियां करोड़ों का मुनाफा कमा लेती है. मच्छरों को मारने के लिए कई तरह के मशीनों पर बड़ी कंपनियां शोध कर रही है. लेकिन अब उन्हें भारत की एक छोटे से गांव की लड़की ने करारा टक्कर दिया है.
इस बच्ची ने बनाया मच्छर ट्रैप
दरअसल तमिलनाडु की महज 9 साल की एक बच्ची ने मच्छरों से छुटकारा दिलाने के लिए ऐसे जाल का निर्माण किया है, जिसके बाद बाजार में खलबली मच गई है. इस बच्ची का नाम इंदिरा है, जो कलपक्कम की रहने वाली है. इंदरा ने ओवीलांटस (Ovillantas) के कॉन्सेप्ट पर एक ऐसे जाल का निर्माण किया है, जो मच्छरों को पकड़ता है. इस जाल को बनाने के लिए इंदिरा ने कुछ चीजों को उपयोग किया है, जैसे - पुराना टायर, हैंगर, सिलिकॉन गोंद, पीवीसी पाइप, बॉल वाल्व आदि.
किस तरह काम करता है जाल
इंदरा द्वारा बनाया गया ये जाल मच्छरों को अपनी तरफ अंडा देने के लिए आकर्षित करता है, क्योंकि इसमें पानी भरा होता है. मच्छरों के अंडे जब लार्वा में बदल जाते हैं, तो वो अपने आप टायर से निकलते हुए क्लोरीन सोल्यूशन्स में जाकर मर जाते हैं.
खेत में कीडों को मारने में भी है असरदार
इस मशीन की धूम इतनी अधिक है कि अभी तक इसे देखने के लिए कई कंपनियों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है. वैसे आपको बता दें कि मच्छरों के आतंक के अलावा इस मशीन को खेतों में कीडों को मारने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक इस जाल में एक बल्ब लगाया गया है, जिसकी चमक से कीड़े इसकी तरफ आकर्षित होते हैं और हीटर से टकराकर मर जाते हैं. इंदरा के परिवार का दावा है कि आम ट्रैप के मुकाबले उनकी बेटी द्वारा बनाया गया ट्रैप 7 गुना अधिक असरदार है.
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