नारियल के फल काफी उंचाई पर लगते हैं और इसके पेड़ की उंचाई लगभग 60 से 100 फुट तक होती है. उंचाई पर इसके फल लगने के बाद भी इसमें मौसम में बदलाव, कुदरती आपदाएं, कीट और बीमारियों का खतरा अन्य फसलों की तरह ही बना रहता है. नारियल की पूरी खेती इलाके में कभी-कभी इन प्राकृतिक आपदाओं के चलते बर्बाद हो जाती है. नारियल कई सालों वाली फसल है. इसलिए इसमें थोड़ा नुकसान होने पर भी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
किसानों को इस तरह के नुकसानों से उबारने के लिए सरकार ने नारियल पेड़ बीमा योजना शुरू की हुई है. इससे नारियल की खेती करने वाले किसान नुकसान होने पर भरपाई कर सकते हैं.
क्यों किया जाता है नारियल पेड़ बीमा योजना ?
इस बीमा का मकसद किसानों को ऐसे कुदरती आपदा या कीट-बीमारियों के नुकसान से होने वाले नुकसान से मदद करना है. इससे अचानक पेड़ों के कम होने से भी किसानों को काफी नुकसान होता है जिससे उन्हें राहत दिलाना है. नारियल की खेती के लिए किसानों को बढ़ावा देना.
नारियल खेती के लिए बीमा योजना पायलट स्तर पर लागू की जाती है. बीमा सुरक्षा के लिए इसमें हर किस्म के पेड़ों को सुरक्षा दिया जाता है जिसमें लंबी, बौनी और संकर सहित सभी किस्मों के नारियल के पेड़ शामिल हैं. बौनी और संकर किस्मों के नारियल के पेड़ों को 4-60 वर्ष की आयु तक बीमा सुरक्षा दी जाती है क्योंकि इनमें रोपाई के चौथे साल से फल लगने की प्रक्रिया शुरू होती है. वहीं लंबी किस्म के नारियल के पेड़ों को 7 से 60 वर्ष की आयु तक बीमा का लाभ मिलता है. इसमें लाभ के लिए बूढ़े और कमज़ोर पेड़ों को शामिल नहीं किया जाता है.
कौन ले सकता है योजना का लाभ?
योजना के अंतर्गत ऐसे किसानों को शामिल किया जाता है जिनकी जमीन में बौने-संकर पेड़ों की आयु 4-60 वर्ष और लंबे पेड़ (आयु वर्ष 7-60) हों और किसान के पास 10 फलदार पेड़ होना भी आवश्यक है. इसमें बीमा प्रीमियम और बीमा राशि तय करने के लिए पेड़ों को दो आयु वर्ग में बांटा गया है जो 4-15 वर्ष और 16-60 वर्ष तक है. वहीं नारियल पेड़ों की बीमा करवाने वाले किसानों को बीमा प्रस्ताव में यह भी घोषणा करना अनिवार्य है कि पेड़ों की आयु ग्रुप क्या है.
बीमा करवाने के इच्छुक किसान सीधे कृषि बीमा कंपनी के एजेंटों से या बागवानी विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. इस योजना में किसानों ने जिन खतरों के लिए पेड़ों का बीमा कराया है उनसे पेड़ों को नुकसान होने पर या पैदावार कम होने पर बीमा की राशि का भुगतान किया जाएगा.
किन चीज़ों के लिए कर सकते हैं बीमा ?
किसानों के बीमा कराने के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं जिसमें यह दर्शाया गया है कि किन कामों के लिए बीमा कराया जा सकता है. इनमें खराब मौसम जैसे- तूफान, ओला-वृष्टि, चक्रवात, बवंडर, भारी वर्षा, बाढ़ से नुकसान होने पर बीमा का लाभ लिया जा सकता है. कीटों और बीमारी से पेड़ों को पूरी तरह से खराब होने वन में आग लगना, झाड़ियों में आग लगना, बिजली गिरना समेत आग की दुर्घटना के लिए, सूखा पड़ना और उससे होने वाले वाले नुकसान के लिए यह सभी इनमें शामिल हैं.
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