सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर केंद्र सरकार को निराशा हाथ लगी है. दरलअसल कल कड़ी फटकार लगाने के बाद आज कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तीनों कृषि कानूनों पर अस्थाई रोक लगा दी. कोर्ट के इस फैसले से जहां केंद्र सरकार सकते में आ गई है, वहीं विपक्षी दलों में खुशी का माहौल है.
चार सदस्यों की बनेगी कमेटी
गौलतलब है कि इन तीन काननों पर अस्थाई रोक लगाते हुए कोर्ट कमेटी गठित करने की बात कही. इस कमेटी में भूपिंदर मान सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी( इंटरनेशनल पॉलिसी हेड), अशोक गुलाटी( एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट) और अनिल धनवत को शामिल किया गया है.
कोर्ट ने पूछा क्या कमेटी के समक्ष पेश होंगे किसान नेता
कानूनों पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के वकील विकास सिंह से सवाल किया कि क्या आंदोलनकारी सरकार की बनाई इस कमेटी के सामने पेश होंगे? इस पर वकील ने उत्तर दिया कि 40 से अधिक संगठनों की देख-रेख में विरोध हो रहा है, ऐसे में किसी भी उत्तर से पहले उन्हें एक बार साझी बातचीत करने के लिए समय चाहिए.
किसानों के वकील ने पूछा रामलीला पर कैसी सुविधाएं देगी सरकार
वहीं सुप्रीम कोर्ट में गणतंत्र दिवस बाधित करने की आशंका वाली याचिका पर फिलहाल सोमवार को सुनवाई करने का फैसला किया है. आंदोलनकारियों के पक्ष में बोलते हुए विकास सिंह ने कहा कि हम रामलीला मैदान में जाने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन पहले सरकार बताए कि वहां हमे कितनी जगह और किस तरह की सुविधाएं मिलेगी. साथ ही विकास ने कोर्ट में कहा कि आंदोलन के लिए ऐसी जगह मिले, जहां प्रेस और मीडिया आसानी से पहुंच सके.
सुप्रीम कोर्टः क्या प्रशासन को दिया गया है आवेदन
विकास सिंह की इस दलील पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है, क्या अभी तक आपने किसी तरह आवेदन पुलिस को दिया है, जिस पर सिंह ने कहा कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है, पता करने के लिए कुछ समय दिया जाए.
सकारात्मक मुद्दों को दिया जाएगा शह
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील हरिश साल्वे ने कहा कि आंदोलन की आड़ में कुछ लोग वहां खलिस्तान के नारे एवं झंडे लहरा रहे हैं, जिसके जवाब में कोर्ट ने पूछा कि क्या इसकी कोई रिकोर्डिंग या कोई साक्ष्य है. साल्वे ने बताया कि एक याचिका में रिकोर्डिंग रखा गया है. कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ सकारात्मकता मुद्दों को शह दे रहे हैं.
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