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सुमिन्तर इंडिया ओर्गेनिक्स ने किसानो को बताए जैविक खेती के तरीके

मध्य प्रदेश के रतलाम जनपद के आदिवासी क्षेत्र में सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा जैविक खेती जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें जिले के शिवगढ़ एवं बाजना तहसील के दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में किसानों को जैविक खेती कैसे करें तथा पर्यावरण एवं भूमि के स्वास्थ्य को स्वयं कैसे ठीक रखे इसके विषय में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया एवं उनको प्रशिक्षण भी दिया गया. जैविक खेती से होने वाले लाभ एवं. एवं किसान के पास उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग जैविक खेती में कैसे करे उस पर चर्चा हुयी. भूमि की उर्वरता को ठीक रखने में जैविक खाद की अहम भूमिका है. किसानों को उत्तम खाद डी-कंपोजर से मात्र दो माह में कैसे बनाए इसके विषय में जानकारी दी गयी. वेस्ट डी-कंपोजर राष्ट्रिय जैविक खेती केंद्र द्वारा तैयार किया गया है.

 

मध्य प्रदेश के रतलाम जनपद के आदिवासी क्षेत्र में सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा जैविक खेती जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें जिले के शिवगढ़ एवं बाजना तहसील के दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में किसानों को जैविक खेती कैसे करें तथा पर्यावरण एवं भूमि के स्वास्थ्य को स्वयं कैसे ठीक रखे इसके विषय में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया एवं उनको प्रशिक्षण भी दिया गया. जैविक खेती से होने वाले लाभ एवं. एवं किसान के पास उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग जैविक खेती में कैसे करे उस पर चर्चा हुयी. भूमि की उर्वरता को ठीक रखने में जैविक खाद की अहम भूमिका है. किसानों को उत्तम खाद डी-कंपोजर से मात्र दो माह में कैसे बनाए इसके विषय में जानकारी दी गयी

वेस्ट डी-कंपोजर राष्ट्रिय जैविक खेती केंद्र द्वारा तैयार किया गया है. इसकी मात्र एक शीशी से ही पूरे गाँव में उपलब्ध गोबर एवं फसल अवशेष से उत्तम प्रकार की जैविक खाद मात्र  दो माह में ,बनायीं जा सकती है. इसका सजीव प्रदर्शन सुमितंर इंडिया ओर्गेनिक्स के वरिष्ठ प्रबंधक शोध एवं विकास संजय श्रीवास्तव द्वारा किया गया. उन्होंने वेस्ट डी–कंपोजर की एक शीशी में उपलब्ध कल्चर को गुड के साथ 200 लि. पानी में बहुलीकरण कर पूरे गाँव के किसानों में वितरित कर पुन: बहुलीकरण कैसे करें तथा अपने घर पर खाद कैसे करे. यह जानकारी किसानो को विस्तार से दी गयी. साथ ही किसानों को घनजीवामृत, जीवामृत, भूटॉनिक, मटका खाद आदि पौध पोषण हेतु बनाने का तरीका बताया गया. पौध संरक्षण में पुराने गौमूत्र, पुराणी छाछ, दश्पर्णी अर्क, पांच पर्णी अर्क, एवं काढ़ा, नीम के बीज, तेल, पत्ती आदि को बनाने की विधी के विषय में बताया. गोष्ठी एवं प्रशिक्षण आयोजन आगामी खरीद मौसम की फसलों की ध्यान में रखकर किया गया. सुमिन्तर इंडिया के वरिष्ठ प्रबंधक संजय श्रीवास्तव ने इस बात पर अधिक जोर दिया कि किसान अपने खेत पर उपलब्ध संसाधन का प्रयोग कर अच्छी खाद तैयार कर सकते हैं. किसान हर्बल कीटनाशी बनाए एवं आगामी फसल में उपयोग करें. इन सबका प्रयोग करने में उत्पादन लागत कम होगी साथ ही रसायन के उपयोग से होने वाले नुक्सान से बचा जा सकेगा. गोष्ठी के आयोजन की व्यवस्था कंपनी के स्थानीय कर्मचारी संजय बाहेल शानू एवं आलोक ने की.

गोष्ठी एवं प्रशिक्षण से प्रभावित होकर आए हुए आदिवासी किसानों ने पुन: प्रशिक्षण का आग्रह किया.साथ ही गाँव के अधिकाश किसानों ने सामूहिक रूप से स्थानीय वनस्पति का उपयोग कर वास्तविक कीटनाशक बनाकर खेतों में उपयोग करने की बात कही. उन्होंने कहा इससे हमारे परिवार, पशु, भूमि एवं वातावरण विषमुक्त रहेंगे.

English Summary: Suminter Training Published on: 03 March 2018, 05:31 AM IST

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