सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स गत 12 वर्षों से गुजरात के कच्छ, जिले में जैविक कपास उत्पादन एवं निर्यात कर रही है, कंपनी द्वारा समय-समय पर किसानों को जैविक खेती की जानकरी दी जाती हैं. साथ ही जैविक आदान का मुफ्त वितरण भी किया जाता है.
जैविक खेती में देसी गाय का बहुत ही महत्व है जिसके गोबर- गोमूत्र से जैविक खेती हेतु पौध-पोषण एवं पौध-संरक्षण के आदान का निर्माण कर किसान कपास एवं अन्य फसलों का उत्पादन कर सकता है. सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स ने "आजीविका डेरी विकास कार्यक्रम" के अंतर्गत अर्मेदंगेल्स (सोशल फैशन कंपनी) के सहयोग से 50 देसी गायों का वितरण किया सभी गायें दूध देती हैं 37 महिला कृषक तथा 13 पुरुष कृषक को गायें दी गयी.
इन गायों का पालन कर किसान दूध का उपयोग स्वयं के परिवार में करेंगे तथा अतिरिक्त दूध को बेच कर अतिरिक्त आय प्राप्त के साथ ही जैविक खेती हेतु आदान का निर्माण कर स्वयं के खेत में करने से उत्पादन लागत में कमी होगी.इस प्रकार देसी गाय का पालन करने से किसान की आर्थिक स्थित, परिवार एवं मिटटी का स्वस्थ ठीक होगा.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बी. आर. नाकर्णी को आमंत्रित किया गया, डॉ. नाकर्णी - सरदार कृषि नगर दांतीवाडा कृषि विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक हैं. और विश्वविद्यालय के छेत्रिय अनुसंधान केंद्र कोठरा एवं बचाऊ के प्रभारी हैं डॉ. नाकर्णी ने अपने सम्बोधन में जैविक खेती एवं वेद विज्ञानं का सम्बन्ध, गोपालन से किसान की आय एवं जैविक खेती में गाय के योगदान को विस्तार से बताया लाभार्थी को गाय के साथ के स्वस्थ का प्रमाण पत्र भी दिया गया.
कार्यक्रम की जानकारी सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक्स के सहायक महा प्रवन्धक शोध एवं विकास श्री संजय श्रीवास्तव द्व्रारा प्राप्त हुई. संजय श्रीवास्तव ने बताया कि सुमिंतर इंडिया का सदैव प्रयास रहा हैं, जैविक खेती के माध्यम से किसान की आय बढ़ाना पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता को बनाये रखना.
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