एसोचैम और अंर्नस्ट एंड यंग एलएलपी ने एक अध्ययन कर सरकार को जैविक खाद्य पदार्थों की लागत को कम करने का सुझाव दिया है। उन्होंने अध्य्यन के जरिए कहा कि फिलहाल जैविक तरीके से उगाए गए उत्पादों का दाम उंचा है, जिसके कारण हर वयक्ति के लिए यह संभव नहीं हो पाता है की वो इसे खरीद सकें तो इसलिए सरकार को जैविक खाद्य पदार्थों की लागत कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। अधय्यन में यह बातें भी कही गई हैं की जैविक खाद्य उत्पादों की कीमत ज्यादा होने के कारण इसकी पहुंच समृद्ध वर्ग तक ही सीमित है। और सामान्य वर्ग तक इसे पहुंचाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
अधय्यन में जैविक खाद्य उत्पाद महंगे होने के कई वजहों का भी जिक्र किया गया है। जिसमें कम उपज तथा प्रसंस्करण, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स और वितरण के अलावा किसानों के प्रशिक्षण में अधिक खर्च को जिम्मेदार बताया गया है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है की अगर जैविक खेती में उगाए खाद्य पदार्थों को अगर कोई लेना शुरू करता है तो उसकी जेब पर हर महिने लगभग 1,200 से 1,500 रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
कृषि जागरण
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