हिमाचल और उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश की वजह से आम जीवन तो अस्त व्यस्त हुआ ही है, लेकिन इस तबाही की वजह से किसानों की फसलों पर भी असर पड़ा है. राज्य के गन्ना किसानों की फसलों को भी सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. सर्वे के मुताबिक, ढाई हजार हेक्टेयर के गन्ने की फसल नष्ट हो चुकी है. किसानों को उनकी उपज का सिर्फ 25% ही पैदावार मिल सकी है. किसानों के अनुसार, इस तेज बारिश के कारण गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग की बीमारी लगने लगी और जिससे उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई.
बाढ़ से आई गन्ना फसल में सड़न
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में बाढ़ आने से करीब 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल नष्ट हो गई है. सरकार के अनुसार, इस बार जिले में 80 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल की बुआई की गई थी. जिले में सबसे ज्यादा क्षति फसलों में गन्ना, धान और सब्जियों की हुई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के किसानों के ऋण वसूली पर रोक लगाई है और सभी को आपदा राहत कोष से सहायता प्रदान करने की बात कही है.
गन्ना की फसल लाल सड़न रोग
गन्ना एक नगदी फसल के रूप में किसानों द्वारा बोई जाती है. नदियों में आई हुई बाढ़ से गन्ने की फसल को काफी नुकसान पहुंचा हैं. किसानों को बाढ़ से राहत मिलने के बाद लाल सड़न रोग से मुश्किलें बढ़ गई हैं. उत्तराखंड के जिले में गन्ने की फसल में तेजी से लाल सड़न रोग फैल रहा है, जिससे फसल सूख कर गिर रही है. लाल सड़न रोग गन्ने के लिए खतरनाक बीमारी है, इस रोग से फसल पूरी तरीके से नष्ट हो जाती है और पत्तियां पीली पड़ने लगती है.
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लाल सड़न रोग का उपचार
गन्ने की फसल में लगने वाले इस रोग से किसान समय रहते रोग-रोधी प्रजातियों की बुआई करें. इसमें 238 प्रजाति के गन्ने की बुवाई उत्तम मानी जाती है. आप ट्राईकोडरमा का भी उपयोग कर सकते हैं, जो फंफूदी नाशक बीमारी से पौधों को बचाता है.
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