दक्षिण-पश्चिमी पहाड़ी के महार और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में चीनी सीजन जल्द खत्म होने वाला है। उधर, उत्तर भारत में खासतौर पर उत्तर प्रदेश की मिलों के चीनी स्टॉक में पिछले साल की तुलना में जनवरी के दौरान उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले इस साल इनमें ज्यादा चीनी उत्पादन की वजह से ऐसा हुआ है। यह जानकारी आज इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने दी।
देश के उत्तरी भाग में अब भी 156 चीनी मिलें परिचालन कर रही हैं और अप्रैल तक उनका परिचालन जारी रहने की संभावना है। इस बात को ध्यान रखते हुए संभावना जताई जा रही है कि देश के पश्चिम और दक्षिण भाग के सूखे से प्रभावित राज्यों की तुलना में इस क्षेत्र में चीनी का जोरदार उत्पादन आगे भी जारी रहेगा। इससे उत्तरी भारत में मिलों द्वारा जुटाए गए स्टॉक में और इजाफा होगा। हालांकि इस्मा ने खरीद के आंकड़े तो उपलब्ध नहीं कराए, लेकिन कहा कि पश्चिम और दक्षिण मिलों का चीनी स्टॉक निहायत ही कम है।
इस्मा के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में अभी भी 107 मिलें अपना परिचालन जारी रखे हुए हैं। फरवरी के अंत तक चीनी मिलों ने 62.46 लाख टन चीनी उत्पादन किया है जो पिछले साल की समान अवधि के 53.51 लाख टन के चीनी उत्पादन की तुलना में 17 प्रतिशत ज्यादा है। इस साल उत्तर प्रदेश सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है। कई सालों बाद उसे यह उपाधि प्राप्त हो रही है। 153 मिलों में से केवल 17 मिलों के परिचालन के साथ महा'र दूसरे स्थान पर आ सकता है। राज्य में पिछले साल के 70.6 लाख टन की तुलना में 41.1 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ है। 2016-17 के चालू चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 28 फरवरी, 2017 तक चीनी मिलों ने 1.624 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है जबकि पिछले साल समान अवधि में 1.994 करोड़ टन चीनी उत्पादन हुआ था। 28 फरवरी, 2017 तक 257 चीनी मिलें अपना पेराई परिचालन जारी रखे हुए थीं जबकि पिछले साल 390 मिलें पेराई का परिचालन कर रही थीं। कर्नाटक में केवल एक ही मिल चल रही है और राज्य ने 25 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है जबकि पिछले साल समान अवधि में 36.1 लाख टन का उत्पादन किया गया था और 46 मिलें चल रही थीं।
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