इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के सहयोग से लखनऊ में आईसी एमआर के परिसर में गन्ना कृषि में मशीनीकरण के मुद्दे पर एक सेमिनार आयोजित किया.
इस सेमिनार में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें, कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) के अध्यक्ष, प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव और गन्ना आयुक्त (यूपी), संजय और अतिरिक्त सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के भूसरेड्डी और सुबोध सिंह मौजूद रहे.
इस सेमिनार में गन्ना उद्योग के लिए एक नए युग की शुरूआत के बारे में चर्चा की गई. जिसके लिए हर वास्तविक परिवर्तन की बात की गई. इसमें बताया गया कि वैश्विक कृषि के उपकरण बाजार में 2032 तक 238 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. खेती में शारीरिक श्रम की कमी और महंगे श्रम के कारण गन्ने की कृषि में मशीनीकरण की आवश्यकता है.
वर्तमान में देश में लगभग 2000 मैकेनिकल हार्वेस्टर चल रहे हैं, जो कुल गन्ने का लगभग 4 प्रतिशत ही हैं. जो ब्राजील, थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य गन्ना उत्पादक देशों की तुलना में लगभग शून्य के बराबर है. यांत्रिक कटाई से किसानों के सामने होने वाली श्रम की समस्या को हल किया जा सकता है. और इससे गन्ने की कटाई में लगने वाले किसी भी अतिरिक्त लागत से सीधे किसानों को फायदा मिल सकता है.
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इस सेमिनार में प्रौद्योगिकी निर्माताओं ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया और इसकी तकनीकी विकास के बारे में सूचित किया. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने कहा कि चीनी उद्योग इस परिवर्तन का समर्थन करता है, हालांकि इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को सरकार के समर्थन की आवश्यकता होने वाली है.
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