भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय औषधीय एवं संगध पौधा अनुसंधान संस्थान के 59 वां वार्षिक दिवस कार्यक्रम के अवसर पर नाबार्ड के डॉ. एस अयप्पन ने कहा कि खेती की तस्वीर बदलने के लिए कामयाब किसानों को कहानी को हर एक किसान तक पहुंचाना चाहिए। किसानों को अधिक आमदनी उठाने के लिए उन्हें तकनीकी तौर अधिक जागरुक करने की जरूरत है साथ ही कृषि से अधिक से अधिक उद्दम बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा औषधीय पौधों के शोध के लिए अतुल्य प्रयास किए जा रहें हैं। इस बीच किसानों को औषधीय पौधों के रोपण के लिए जागरुकता लाने के लिए वैज्ञानिकों ने सराहनीय कार्य किया है।
जाहिर है कि औषधीय पौधों की खेती कर औषधि बनाकर खेती से एक व्यवसाय पनप सकता है। जिससे किसानों को आशा से अधिक आमदनी होती है। इस दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया गया एक हर्बल उत्पाद दर्द निवारक जेल निर्मित किया गया है जिससे दर्द से निजात पाई जा सकती है। प्रोफेसर अनिल के मुताबिक यह वनस्पतियों से निर्मित होने के नाते इससे शरीर पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि दर्द निवारण के लिए यह काफी लाभप्रद है। यह बहुत ही जल्द ही कम कीमत में बाजार में आ जाएगा। कार्यक्रम में बेहतरीन शोध कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित भी किया गया।
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