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पिछले 3 सालों में पहली बार बाघों की सालाना मृत्यु दर में आयी गिरावट

देश के कर्नाटक, केरला और तेलंगाना में जहां जंगलों की संख्या बढ़ी है, वहीं लम्बे समय से बाघों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिली थी. बाघ, जिसे देश के राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया गया है, उसकी घटती संख्या एक गंभीर चर्चा का विषय थी. इसकी एक बड़ी वजह बाघों की मौत भी है. अब एक अच्छी खबर सामने आयी है. तीन साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साल में बाघों की मृत्यु दर घटी है. जी हाँ, पहली बार एक साल के अंदर 100 से कम बाघों की मौत हुई है.

सुधा पाल

देश के कर्नाटक, केरला और तेलंगाना में जहां जंगलों की संख्या बढ़ी है, वहीं लम्बे समय से बाघों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिली थी. बाघ, जिसे देश के राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया गया है, उसकी घटती संख्या एक गंभीर चर्चा का विषय थी. इसकी एक बड़ी वजह बाघों की मौत भी है. अब एक अच्छी खबर सामने आयी है. तीन साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि एक साल में बाघों की मृत्यु दर घटी है. जी हाँ, पहली बार एक साल के अंदर 100 से कम बाघों की मौत हुई है.

दि हिंदू की रिपोर्ट्स के मुताबिक वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के आंकड़ों की मानें तो देश में साल 2019 में बाघों की मौत (tiger deaths) के 84 मामले थे. इसके साथ ही Ministry of Forest Environment and Climate Change के मुताबिक 11 बरामदगी (seizures) के मामले (जिसमें बाघ के शरीर के अंगों के मिलने पर उसे मृत घोषित किया जाता है) सामने आए. इस तरह कुल मिलाकर पिछले साल, 2019 में बाघों की मौत की संख्या 95 रही.

रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ (NTCA) के सदस्य सचिव (Member Secretary) अनूप नायक ने कहा कि इन आंकड़ों को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि देश में बाघों की संख्या बढ़ रही. सदस्य सचिव का कहना है कि बाघों पर निगरानी बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना भी एक अतिरिक्त लाभ के रूप में सामने आया है।

tigers

साल 2018 में मृत्यु दर

अगर साल 2018 की बता करें तो इसमें बाघों की मौत की संख्या 100 (93 मृत्यु दर और 7 बरामदगी) दर्ज की गई थी.

साल 2017 में मृत्यु दर

वहीं 2017 में बाघों की मौत की संख्या 115 (98 मृत्यु और 17 बरामदगी) थी.

साल 2016 में मृत्यु दर

रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2016 में बाघों की मौत की संख्या 122 (101 मृत्यु और 21 बरामदगी) थी.

बाघों पर निगरानी रखने के लिए ये हैं इंतज़ाम

एम-एसटीआरईपीएस (मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स-इनटेन्स्टिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस) ऐप हर बाघ के लिए है. M-STriPES (Monitoring System for Tigers-Intenstive Protection & Ecological Status) की मदद से पशुओं पर पूरी निगरानी रखी जाती है.

95 बाघों में से 57 बाघों की मौत टाइगर रिज़र्व्सट के अंदर

रिपोर्ट्स के मुताबिक बाघों की मृत्यु दर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 95 में से 57 बाघों की मौत टाइगर रिज़र्व्स (Tiger Reserves) के अंदर हुई, जबकि टाइगर रिज़र्व्स के बाहर बाघों की मौत के 38 मामले दर्ज किए गए.

English Summary: statistics of tiger deaths in 2019 in india Published on: 03 January 2020, 12:38 PM IST

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