यह किसकी चूक है? फिलहाल तो यह तफ्तीश का मसला है, लेकिन केंद्र सरकार का चाबुक उन सभी लोगों पर लगातार चल रहा है, जो किसान न होने के बावजूद भी किसानों का भेष धारण कर केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'किसान सम्मान निधि योजना' का बेजा इस्तेमाल कर अन्नदाताओं के हक पर सेंध मार रहे हैं. बता दें कि केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को समृद्ध बनाने की दिशा में प्रत्येक वर्ष 6 हजार रूपए देने का प्रावधान है, लेकिन सरकार की तरफ से हुई जांच में पता चला है कि लाखों की संख्या में ऐसे लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, जिनका खेती किसानी से कोई सरोकार नहीं है. देश के अलग-अलग राज्यों से इस तरह के फर्जीवाड़े के मामले सामने आ रहे हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान सम्मान निधि योजना के नाम पर 33 लाख फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं, जिसके मद्देनजर अब केंद्र सरकार मुस्तैद हो चुकी है. सरकार ऐसे सभी लोगों को चिन्हित करने में जुटी है, जो केंद्र सरकार की इस योजना का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.
ऐसे पकड़ में आए हैं ये लोग
लाजिमी है कि आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा हो कि आखिर ऐसे लोगों की पहचान सरकार ने किस आधार पर की है, तो यहां हम आपको बताते चले कि गलती करने का वाला इंसान कितना भी चतुर क्यों न हो, लेकिन वो अपने नापाक इरादों को धरातल पर उतारने के दौरान कोई न कोई ऐसी चूक कर ही जाता है, जो आगे चलकर उसके लिए मुसीबत का सबब ठहरती है. ठीक...ऐसा ही कुछ हुआ उन लोगों के साथ भी, जो किसान न होने के बावजूद भी किसानों के हक के पैसे पर सेंध मार रहे थे. मसलन, रेवेन्यू रिकॉर्ड, बैंक खाता व आधार कार्ड में आवेदन के नाम में त्रुटियों के आधार पर ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है. सरकार अब ऐसे लोगों के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करने में जुट चुकी है. यह ऐसे लोगों हैं, जो अन्नदाताओं के हक पर गलत दावेदारी कर रहे हैं.
शुरू हुआ कार्रवाई का सिलसिला
यहां हम आपको बताते चले कि ऐसे सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है. वहीं, इस पूरे मसले को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्रालय का कहना है कि बेशक यह योजना पूरी तरह से केंद्र की तरफ से प्रायोजित है, लेकिन इस योजना का लाभ राज्य में पहुंचने के बाद किसे इसका लाभ मिलना है और किसे नहीं इसे तय करने का पूरा अधिकार राज्य सरकार के पास है, ऐसे में इस पूरे मामले में राज्य सरकार की जवाबदेही बनती है. बहरहाल, केंद्र सरकार ऐसे सभी तंत्र के खिलाफ कड़ी से कडी कार्रवाई करने में जुट चुकी है.
राज्य सरकार की किरदार इसलिए भी संदिग्ध मालूम पड़ता है, चूंकि केंद्र सरकार राज्यों के किसानों को तभी पैसा देती है, जब राज्य अपने यहां के किसानों के आंकड़ों की जानकारी प्राप्त कर केंद्र को भेजती है. अब इस योजना का लाभ उन लोगों को मिल रहा है, जो किसान होने के पात्रता नहीं रखते है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार की गतिविधि संदिग्ध मालूम पड़ती है.
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