कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के समय जो ऋण माफ़ी का वादा किया था उसको पूरा करने में कुछ समय लग सकता है. दो राज्यों में इसे लेकर अभी तक जो स्थिति है उससे साफ जाहिर हो रहा है की अभी ऋणमाफ़ी में कुछ समय लगेगा. कर्नाटक और पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी और वहां कर्जमाफी की घोषणा कर दी गई. बता दें कि इन दोनों राज्यों में अभी तक मात्र को-ऑपरेटिव बैंक ने ही कर्ज माफ़ किये है.
अभी भी व्यावसायिक बैंकों को ऋण माफ़ करने के लिए बजट के प्रावधान में कुछ समय लग सकता है. राजस्थान में कोऑपरेटिव बैंको में लगभग 12000 रूपये का लोन है. सबसे ज्यादा बड़ी राशि में लोन व्यावसायिक बैंकों ने दिए है. इतनी बड़ी राशि की मात्रा देखते हुए सरकार इसमें छटनी कर सकती है. इन बैंको ने खेती के क्षेत्र में 85 हजार करोड़ से ज्यादा का लोन दे रखा है. अब देखना यह होगा कि हाल में बननें वाली सरकारें किस तरह से लोन माफ़ करती है.
बता दें कि को-ऑपरेटिव सेक्टर के बैंकों में 50000 रूपये प्रति किसान लोन माफ़ करने के लिए 85000 हजार करोड़ रूपये की आवश्यकता पड़ी थी. लेकिन सरकार ने इसके लिए मात्र 2000 हजार करोड़ रुपये दिए थे. अपेक्स बैंक ने करीब 22 सौ करोड़ का लोन लिया था, व्यावसायिक बैंक के लोन का मामला अब सरकार के लिए आफत का बिषय बन सकता है क्योंकि लोन माफी के मामले में कर्नाटक और पंजाब में भी घोषणा पूरी नहीं हो पाई है। वहां भी पार्टी ने चुनाव से पहले ही ऋणमाफी की घोषणा की थी। दोनों ही राज्यों में को-ऑपरेटिव क्षेत्र के 2 लाख रुपए तक के लोन माफ कर दिए गए हैं। सहकारी बैंक के भी लघु व सीमांत किसानों के ही लोन माफ किए गए हैं।
प्रभाकर मिश्र ,कृषि जागरण
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