मृदा एक गतिशील प्राकृतिक पिण्ड है. जो खनिज पदार्थ और कार्बनिक पदार्थ से मिलकर पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए आधार प्रदान करती है. इसकी एक इंच परत का निर्माण 800-1000 वर्ष बाद होता है. मृदा में अनेकों पोषक तत्व पाये जाते है. जो पौधों की जनन, वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक है. इसलिए मृदा को पादप पोषक तत्वों का भण्डार कहा जाता है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
इस कार्ड की शुरुआत 19 फरवरी 2015 से हुई. इसकी थीम ‘स्वस्थ धरा खेत हरा’ है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड को मृदा का मेनू कार्ड कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है. इसमें 12 पादप पोषक को मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में जांचकर मानक उपलब्धता और सन्तुतित मात्रा को निकालकर कार्ड में प्रदर्षित किया जाता है.
खेत में किस पोषक तत्व की कितनी कमी है, कितनी मात्रा उपलब्ध है, कितनी संतुलित मात्रा किस ऋतु में आवश्यकतानुसार देना है. जिसे किसान की लागत एवं अनावश्यक कृषि क्रियाओं को कम किया जाये और उनकी आय में माननीय प्रधानमंत्री मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कथन अनुसार वर्ष 2022 तक आय दोगुनी का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके.
किसान को लाभ
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इसके द्वारा पादप पोषक तत्व की उपलब्धता, कमी, संतुलित मात्रा की सही और सटीक जानकारी प्राप्त होती है.
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इसके अतिरिक्त लागत जैसे, उर्वरक, समय, मशीन और मजदूरों पर होने वाला व्यय कम किया जा सकता है.
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मृदा की भौतिक, जैविक, रासायनिक दशा में सुधार होता है.
लेखक: सोनू कुमार, अरविंद कुमार, राकेश कुमार, गौरीशंकर, विक्रम सिंह, सुभाष मंडलोई
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