देश के प्रधानमंत्री मोदी की चहेती स्कीम फसल बीमा योजना अपने पहले ही बड़े टेस्ट में बुरी तरह फेल होते नज़र आ रही है | स्कीम के तहत बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को संभावित नुकसान का 25 फीसदी राहत के तौर पर सरकार की तरफ से अब तक नहीं मिल पाया है | जबकि इस वक़्त हालात ये है कि बड़े कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, असम, गुजरात और पश्चिम बंगाल में लाखों हेक्टेयर में लगी फसल बाढ़ में डूबी हुई है |
एक पड़ताल में पाया गया कि उत्तर प्रदेश और बिहार, राजस्थान, असम, पश्चिम बंगाल और गुजरात सहित दूसरे बाढ़ प्रभावित राज्यों ने किसानों को रहत मुहैया कराने के लिए नोटिफिकेशन ही जारी नहीं किया है | फसल बीमा योजना में शामिल बीमा कम्पनियों का कहना है कि उनके पास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित किसानों का डाटा नहीं है | इस तरह बिना डाटा के किसानों को तत्काल राहत मुहैया करा पाना संभव नहीं है |
बता दें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बाढ़ जैसी स्थित में किसानों को संभावित नुक्सान का 25 फीसदी तक क्लेम तत्काल देने का प्रावधान है | इसके लिए राज्य को नोटिफिकेशन जरी करना पड़ता है |
सरकार की तरफ से बीमित किसानो का कोई भी डाटा वेबसाइट पर अपलोड नहीं है, जिसके चलते बैंक किसानों का वेरिफिकेशन नहीं कर पा रहा है | एक वरिष्ठ बीमा कम्पनी के अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जरूरी डाटा समय पर उपलब्ध न होने की वजह से बाढ़ प्रभावित किसानों का क्लेम सेटल करने में देरी होगी | बाढ़ प्रभावित किसान खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान के लिए अक्तूबर नवम्बर तक क्लेम कर सकेंगे |
सवाल यह है कि सरकार इन योजनाओं के विज्ञापन के लिए लाखों करोडो रूपये तो खर्च कर रही है लेकिन ये योजनाएं जिनके लिए बनायीं गयी है उन्ही का डाटा वेबसाइट पर उपलब्ध न होने की वजह से इन योजनाओं का कोई भी महत्व नहीं दिखाई देता है |
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