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Silk Farming: रेशम उद्योग से कम लागत में कमाएं दोगुना मुनाफा!

किसान अब हर तरह की खेती को आजमाना चाहते हैं, ताकि भविष्य में उन्हें बेहतर परिणाम मिल पाए और यही महाराष्ट्र (Maharashtra) के किसानों ने कर दिखाया है. जहां एक तरफ विंटर स्ट्रॉबेरी की खेती की गयी है वही दूसरी तरफ सिल्क की खेती (Silk Farming or Sericulture) भी शुरू हो गयी है. दरअसल, मराठवाड़ा (Marathvada) का बीड जिला (Beed District) सूखाग्रस्त (Drought) माना जाता है. लेकिन समय बीतने के साथ किसानों ने खेती में बहुत अच्छे बदलाव किए हैं.

रुक्मणी चौरसिया
Silk Farming (Sericulture)
Silk Farming (Sericulture)

किसान अब हर तरह की खेती को आजमाना चाहते हैं, ताकि भविष्य में उन्हें बेहतर परिणाम मिल पाए और यही महाराष्ट्र (Maharashtra) के किसानों ने कर दिखाया है. जहां एक तरफ विंटर स्ट्रॉबेरी की खेती की गयी है वही दूसरी तरफ सिल्क की खेती (Silk Farming or Sericulture) भी शुरू हो गयी है. दरअसल, मराठवाड़ा (Marathvada) का बीड जिला (Beed District) सूखाग्रस्त (Drought) माना जाता है. लेकिन समय बीतने के साथ किसानों ने खेती में बहुत अच्छे बदलाव किए हैं.

मराठवाड़ा का बीड जिला रेशम उद्योग (Sericulture) में सबसे आगे माना जा रहा है. बढ़ते उत्पादन को देखते हुए अब बीड जिले की कृषि उपज मंडी समिति में रेशम कोष बाजार शुरू होने जा रहा है, जिसके बाद मराठवाड़ा और आसपास के जिलों के लगभग सभी रेशम उत्पादक किसान यहां आएंगे और उससे बेहतर मुनाफ़ा कमा पाएंगे.

रेशम उद्योग को मिल रहा बढ़ावा (The silk industry is getting a boost)

बीड कृषि उपज मंडी समिति ने रेशम विभाग के सहयोग से किसानों के अनुरोध पर सुरक्षात्मक तरीके से उपार्जन की पहल की है. इस बाजार के पायलट लॉन्च को मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. जिले में रेशम उत्पादन साल दर साल बढ़ रहा है. इसलिए किसानों को सही बाजार उपलब्ध कराने के लिए यह फैसला लिया गया है.

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सूखे और भारी वर्षा दोनों में रेशमकीट उत्पादकों को स्थायी उत्पादन मिलता है. यही कारण है कि मराठवाड़ा में रेशम उद्योग बढ़ रहा है. और पिछले वर्ष जिले में 650 टन रेशमकीट का उत्पादन हुआ था जबकि वर्तमान वर्ष में लगभग 700 टन रेशमकीट पैदा होने की संभावना है.

अकेले बीड जिला पश्चिमी महाराष्ट्र में कच्चे रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक है. चूंकि जिले में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले रेशम का उत्पादन होता है इसलिए रामनगरम (Ramnagar) जैसे बड़े बाजारों में यहां रेशम की मांग रहती है.

लो इन्वेस्टमेंट, हाई रिटर्न्स: सिल्क की खेती से ऐसे करें कमाई  (Low Investment, High Returns: Earn money from silk farming)

  • एक एकड़ सिंचित भूमि में सिल्क की खेती और रेशमकीट पालन के लिए 12,000 से 15,000 रुपये (भूमि और पालन स्थान की लागत को छोड़कर) का अनुमानित निवेश पर्याप्त है.

  • रेशमकीट पालन शुरू करने के लिए सिल्क को विकसित होने में केवल छह महीने लगते हैं. एक बार रोपने के बाद, यह वर्ष-दर-वर्ष 15-20 वर्षों तक रेशमकीट पालन का समर्थन करता रहेगा.

इसे भी पढ़ें: ग्रामीण क्षेत्र के लोग करें रेशम उत्पादन का बिजनेस, कम लागत में होगा ज्यादा मुनाफ़ा

  • उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों (Tropical Conditions) में एक वर्ष में पांच बार इसका फायदा उठाया का सकता है.

  • एक किसान प्रति वर्ष 30,000 रुपये प्रति एकड़ तक कमा सकता है.

आजकल विश्व के विभिन्न भागों में रेशमकीट (Silkworm) पालन के व्यवसाय को तीव्र गति से बढ़ाया जा रहा है क्योंकि कीड़ों की देखभाल और प्रबंधन के साथ रेशम उद्योग में बहुत अधिक लाभ होता है.

English Summary: Silk Farming- Earn double profit at less cost than silk industry Published on: 18 November 2021, 05:23 PM IST

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