
Subsidy For Agriculture Equipment: खेती के विभिन्न कामों को करने के लिए किसानों को अलग-अलग कृषि यंत्रों की आवश्यकता होती है. इन मशीनों के साथ किसान कठिन कामों को कम समय और लागत में पूरा कर पाते हैं. इन्हीं में से एक सेल्फ प्रीपेड रीपर मशीन है, जिसकी मदद से खेतों में फसल की कटाई न केवल तेज होती है बल्कि इसमें मेहनत और समय दोनों की बचत होती है. पारंपरिक तरीकों की तुलना में यह मशीन कम समय में अधिक क्षेत्र की कटाई कर सकती है. इससे उत्पादन की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है. औरंगाबाद जिले के ओबरा, कुटुंबा, देव और बारुण जैसे प्रखंडों में कृषि क्षेत्र में लगातार प्रगति देखी जा रही है. यहां के सैकड़ों किसान तरह-तरह की फसलें उगा रहे हैं, जिनमें सब्जियां, फल और खरीफ फसलें शामिल हैं.
आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों की सहायता से अब खेती आसान और लाभकारी बनती जा रही है. इस दिशा में सरकार और कृषि विभाग द्वारा किसानों को अनुदान और सब्सिडी देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है.
किसानों को मिल रहा सरकारी सहयोग
बिहार सरकार द्वारा किसानों के लिए कई आधुनिक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसान कम खर्च में खेती कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. विभाग की ओर से 30% से लेकर 40% तक की सब्सिडी दी जा रही है, जो यंत्र की कीमत पर निर्भर करती है. विशेष रूप से सेल्फ प्रीपेड रीपर मशीन पर सरकार की तरफ से ₹50,000 तक का अनुदान दिया जा रहा है. यह कृषि मशीन उन किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जिनके पास ट्रैक्टर नहीं है या वे भारी मशीनों में निवेश नहीं कर सकते.
क्या है सेल्फ प्रीपेड रीपर मशीन?
सेल्फ प्रीपेड रीपर मशीन एक आधुनिक कृषि यंत्र है, जिसका मुख्य उपयोग फसल की कटाई में किया जाता है. यह मशीन विशेषकर धान और गेहूं जैसी फसलों की कटाई के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके संचालन के लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता नहीं होती. यह मशीन खुद से चलने वाली होती है, जिसे किसान आसानी से संचालित कर सकते हैं. खबरों के अनुसार, इस मशीन की बाजार में कीमत करीब ₹1.5 लाख तक हो सकती है, लेकिन सरकार की ओर से दी जा रही ₹50,000 की सब्सिडी के बाद किसान इसे काफी सस्ती कीमत में खरीद सकते हैं.
छोटे किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ
यह योजना खास तौर पर उन छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद है, जो बड़े कृषि यंत्र नहीं खरीद सकते. ट्रैक्टर जैसी भारी मशीनों की कीमत ₹10 लाख से अधिक होती है, जो हर किसान के लिए संभव नहीं होता. लेकिन सेल्फ प्रीपेड रीपर मशीन एक सस्ता और प्रभावी विकल्प है. इस योजना के तहत किसान ऑनलाइन या नजदीकी कृषि कार्यालय में आवेदन कर इस मशीन पर अनुदान प्राप्त कर सकते हैं. विभाग की ओर से पंजीकृत विक्रेताओं के माध्यम से यह मशीन उपलब्ध कराई जाती है.
कृषि यंत्रीकरण से किसानों को आत्मनिर्भरता
सरकार द्वारा चलाई जा रही इस तरह की योजनाएं न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित कर रही हैं. कृषि यंत्रीकरण से खेती का परंपरागत स्वरूप बदल रहा है और किसान अब आधुनिक तकनीक को अपनाकर अपनी उपज और आमदनी दोनों बढ़ा रहे हैं.
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