उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में चल रहे 5 दिवसीय भारत जल सप्ताह-2022 का समापन समारोह आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मुख्य आतिथ्य में हुआ. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विशेष अतिथि थे. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि यह समापन समारोह संकल्प की शुरुआत है. दुनियाभर के लोगों का यहां आना, इस विषय पर चर्चा-चिंतन करना और समाधान का रास्ता दिखाना बड़ी उपलब्धि है.
इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में उस समय की, जब इतिहास में पहली बार अलग से जल शक्ति मंत्रालय बना, जो जल संचय के लिए उनकी सोच को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जीवन को प्रभावित करने वाले हर पहलुओं पर नीतिगत निर्णय लिए गए हैं, जिससे लोगों के जीवन में असरकारक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. इसकी शुरुआत स्वच्छता भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण से की गई. देश के हर घर में शौचालय का निर्माण किया गया. यह लोगों के आत्मसम्मान से जुड़ा मामला था. इसी तरह उज्ज्वला योजना के माध्यम से महिलाओं को रसोई के धुएं से मुक्ति दिलाई गई.
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि जल हमारी प्राचीन संस्कृति से जुड़ा हुआ है. ऋग्वेद में व्याख्या की गई है कि जल ही अमृत है, जल ही औषधि है. सुरक्षित पेयजल तक पहुंच न केवल जीवन के लिए आवश्यक है बल्कि इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिति पर पड़ता है. जल जीवन मिशन की सफलता के लिए हमें क्वालिटी, क्वांटिटी, और कम्युनिटी पर फोकस करना होगा.
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि जल हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है. कृषि मंत्री होने के नाते मैं जानता हूं कि जल की सबसे ज्यादा खपत कृषि के क्षेत्र में है. बिना जल के कृषि संभव नहीं है. आज जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यह आवश्यक हो गया है कि जल को प्रबंधित कैसे किया जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जिस तरह स्वच्छता के लिए अभियान चला, उसी तरह से इसके लिए भी बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है. हम सब जहां भी-जैसे भी हैं, इसे "जल बचाओ-जीवन बचाओ अभियान" के रूप में लेना चाहिए, तभी हम इस लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं. तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारत सतत विकास की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है. जल संरक्षण की दिशा में भी बहुत शिद्दत के साथ काम किया जा रहा है. कृषि के क्षेत्र में बड़ी सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनसे कृषि क्षेत्र को पानी मिल रहा है. देश में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं काम कर रही हैं. 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत लाया गया है, वहीं देश में बड़ा क्षेत्र ऐसा भी है जहां सिंचाई वर्षा आधारित है.
इन क्षेत्रों के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिकों द्वारा ऐसे बीजों को ईजाद किया जा रहा है, जो अच्छी उपज दे सकें. वाटरशेड जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से खेती बढ़ाने का प्रयत्न किया जा रहा है. हमें सिंचाई में तकनीक और उपकरणों का उपयोग अधिकाधिक करना चाहिए ताकि पानी भी बच सकें और फसल भी अच्छी हो. उन्होंने कहा कि हम सबकी चिंता है कि आने वाले कल में खाद्य सुरक्षा का संकट न आए, इसके लिए खेती में जो तकनीक का समावेश होना चाहिए, उसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार पूरी शिद्दत के साथ काम कर रही है. जल संचय के लिए केंद्र सरकार और कृषि का क्षेत्र चिंतित है, इसलिए मैं आश्वत करना चाहता हूं कि पांच दिवसीय मंथन में जो भी जरूरी प्रस्ताव आएं, उन पर गंभीरता से विचार कर आगे बढ़ाया जाएगा.
कार्यक्रम में आयोजक मंत्रालय (जल शक्ति) के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संरक्षण में जो कुछ हमने हासिल किया है, वह सबके लिए है. हम सब साथ में सोच-विचार करें ताकि सभी जीवन सुगम हो. पानी की चुनौती हम सबके समक्ष है. भारत जैसे अनेक देश विकास की दौड़ में हैं, जिनके लिए यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है. जल सप्ताह-2022 के दौरान जल के भंडारण और सबको समान रूप से जलप्रदाय को लेकर मंथन किया गया है. हमारे उपयोग में किस प्रकार का दृष्टिकोण होना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है. भारत में जल व स्वच्छता के मामले में पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम हो रहा है और देश एक रोल मॉडल के रूप में उभर रहा हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गति व समयबद्धता के साथ लक्ष्य पूर्ति के लिए तत्परता से काम किया गया है. कार्यक्रम में जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, उत्तर प्रदेश के जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय सचिव पंकज कुमार, विशेष सचिव देबाश्री मुखर्जी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे.
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