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Saras Aajeevika Mela 2022: गुरुग्राम का ‘सरस आजीविका मेला’बन रहा है आकर्षण का केंद्र, यहां जानें इसकी पूरी डिटेल

भारत की हस्तशिल्प कला को बढ़ावा देने और दुनियाभर में पॉपुलर करने के लिए हरियाणा के गुरुग्राम में 7 से 23 अक्टूबर के बीच आजीविका मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले में देश के 16 से ज्यादा राज्यों के हस्तशिल्प कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए हिस्सा लिया है.

देवेश शर्मा
saras aajivika mela of gurugram
saras aajivika mela of gurugram

देश में हाथ से बनी हुई चीजों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) द्वारा गुरुग्राम में ‘सरस आजीविका मेले’ का आयोजन किया गया है. इस मेल में देशभर के 16 से ज्यादा राज्यों के लोगों ने हिस्सा है. साथ ही 7 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक इसका आयोजन किया जा रहा है. 

आपको बता दें कि इस साल गुरुग्राम में दूसरी बार सरस आजीविका मेले का आयोजन किया जा रहा है इससे पहले अप्रैल के महीने में आजीविका मिशन के तहत ‘सरस आजीविका मेले’ का आयोजन किया गया था.

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बिहार के दरभंगा के रहने वाले चंदन कुमार पेश से पेंटर हैं और पिछले कई सालों से  प्राकर्तिक रंगों से पेंटिग बना रहे हैं. ये जिस कागज पर  चित्रकारी करते हैं वो 80 प्रतिशत कपास और 20 प्रतिशत पेपर से बना हुआ होता है.
बिहार के दरभंगा के रहने वाले चंदन कुमार पेश से पेंटर हैं और पिछले कई सालों से प्राकर्तिक रंगों से पेंटिग बना रहे हैं. ये जिस कागज पर चित्रकारी करते हैं वो 80 प्रतिशत कपास और 20 प्रतिशत पेपर से बना हुआ होता है.

आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं ये चीजें

सरस आजीविका मेले’ में अलग-अलग प्रदेशों के प्रसिद्ध परिधान और लाइव फूड स्टॉल जैसे आकर्षित करने वाली चीजें उपलब्ध है. आपको बता दें कि इन लाइव फूड स्टॉल पर अलग-अलग राज्यों के पारंपरिक भोजन लगाए गए हैं जोकि लोगों के बीच में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इस मेले की खास बात ये है कि इसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा भाग लेने वाली महिलाएं हैं. अभी तक की जानकारी के अनुसार इस मेले से 30 लाख रुपए की आवक हो चुकी है.  

राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले सत्यपाल पेशे से जूट के थेैले बुनने वाले कारीगर हैं और बीते 6-7 सालों से इस काम को कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे 100 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक के थैले बनाते हैं.
राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले सत्यपाल पेशे से जूट के थेैले बुनने वाले कारीगर हैं और बीते 6-7 सालों से इस काम को कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे 100 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक के थैले बनाते हैं.

मिनी भारत के दर्शन

भारत के अलग-अलग राज्यों में सांस्कृतिक विविधता होने के कारण यहां का भोजन भी काफी ज्यादा अलग है और ये मेला उसका बड़े अच्छे तरीके प्रतिनिधित्व कर रहा है. एक प्रकार से देखा जाए तो लोगों को मिनी भारत के दर्शन कराता है. इसके अलावा अलग प्रदेशों के लोक कलाकार प्रतिदिन अपने प्रदेश के लोकप्रिय सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे.

English Summary: saras aajivika mela of gurugram is the representation of whole india Published on: 19 October 2022, 02:48 PM IST

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