
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यानि 20 जून को मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष पर आधारित 'सहकार से समृद्धि 2025' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया. इस अवसर पर महाराष्ट्र सरकार के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, नाफेड के अध्यक्ष जेठाभाई अहीर, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी, एनसीसीएफ के अध्यक्ष विशाल सिंह, गुजरात राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष अजय पटेल और नाफेड के एमडी दीपक अग्रवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष है. संयुक्त राष्ट्र संघ में आज आयोजन हो रहा होगा लेकिन सहकारिता भारत की मिट्टी और इसकी जड़ों में वर्षों से व्याप्त है. हजारों साल पहले भारत के ऋषियों ने उद्घोष किया था, ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु. सभी प्राणियों में एक ही चेतना है. विश्व के कल्याण का भाव की सहकारिता है.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान का महत्व कभी समाप्त नहीं हो सकता. आज भी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 18 प्रतिशत है. लगभग 46 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही निर्भर है. मैं स्वयं किसान हूं. अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाकर खेती करता हूं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसान कल्याण के लिए कार्य करना ही जीवन का उद्देश्य है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों में देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है. खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. किसानों की समृद्धि और कृषि क्षेत्र की उन्नति के लिए जो रोडमैप बनाया गया उसमें शामिल हैं- प्रति हेक्टेयर उत्पादन को बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम, फसल नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजा, कृषि का विविधिकरण और उर्वरकों में सीमित उपयोग के साथ आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना.
शिवराज सिंह ने कहा कि हमें देश की परिस्थितियों के अनुसार कृषि क्षेत्र में उन्नति के मार्ग तय करने होंगे. भारत में अत्यधिक किसान छोटी जोत वाले हैं. इसलिए हमारी नीतियों का केंद्र छोटा किसान है. तीन चीजें और जो प्रधानमंत्री के नेतृत्व में तय हुई हैं उनमें शामिल हैं- पहला- देश 144 करोड़ आबादी के खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, दूसरा- किसानों की आय बढ़ाना और तीसरा- देशवासियों को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना.
शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम मिले, इसके लिए भारत सरकार पूरी कोशिश कर रही है. किसान द्वारा पंजीकरण के बाद तूअर, मसूर और उड़द की भी खरीद की जाएगी. दलहन-तिलहन साथ ही सोयाबीन में भी रिकॉर्ड स्तर पर खरीद हुई है.
शिवराज सिंह ने कहा कि किसान तक शोध की सही जानकारी पहुंचाने के लिए भी व्यापक स्तर पर कोशिश की गई. प्रधानमंत्री के विजन में ‘लैब टू लैंड’ को जोड़ने के लिए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ भी आयोजित किया गया. वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों ने जमीनी स्तर पर जाकर किसानों से संवाद किया, उन्हें कृषि की विभिन्न पद्धतियों और शोध की जानकारी दी. साथ ही उनकी व्यावहारिक समस्याओं को सुनकर आगे के शोध की दिशा तय करने का भी काम किया. इस अभियान के दौरान कई महत्वपूर्ण अनुभव और नवाचार देखने मिले, जिनका आगे की नीतियां तय करने व अनुसंधान करते समय अवश्य ध्यान रखा जाएगा. अभियान के दौरान कई गंभीर मुद्दे भी सामने आए हैं, जिनमें सबसे गंभीर है, किसानों को घटिया कीटनाशक और घटिया बीज का विषय. इसलिए अब अमानक बीज एवं कीटनाशक बनाने वाले और बेचने वालों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है. कड़ा कानूनी प्रावधान बनाने की दिशा में तत्परता से काम चल रहा है. ऐसे कृत्य में संलिप्त किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.

शिवराज सिंह ने कहा कि टमाटर, आलू, प्याज इन फसलों के उत्पादन की बिक्री से जुड़ा एक और प्रावधान किसानों के हित में किया गया है. यदि किसान इन फसलों को जहां उत्पादन के ज्यादा दाम मिल रहे हैं, बेचना चाहे तो सरकार परिवहन का खर्चा उठाएगी. बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के जरिये यह प्रावधान किया गया है. भंडारण की व्यवस्था के लिए भी वित्तीय सहायता देने की कोशिश की जाएगी. यह कदम किसानों को उचित दाम दिलाने में मददगार भी होगा, साथ ही उपभोक्ता भी संतुलित कीमत पर उत्पाद खरीद पाएंगे. किसान को ठीक दाम और उपभोक्ताओं को ठीक कीमत पर उत्पाद मिले, इसका संतुलन होना चाहिए.
शिवराज सिंह ने कहा कि मैं वचन देता हूं कि कृषि उन्नति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत जितने महत्वपूर्ण पक्ष सामने आए हैं, उन सब पर एकाग्रता से विचार-विमर्श चल रहा है. कुछ त्वरित कदम भी उठाए गए हैं. यह तय किया गया है कि संवाद की यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी. कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिक सप्ताह में तीन दिन किसानों के पास खेत में जाकर शोध की व अन्य आवश्यक जानकारी देंगे, उनसे संवाद करेंगे. दिल्ली के कृषि भवन में बैठकर कृषि नीति नहीं बन सकती. नीतियां बनाने के लिए खेत में जाना ही होगा. मैंने स्वयं भी तय किया है कि कृषि मंत्री के रूप में सप्ताह में दो दिन किसानों के बीच खेतों में रहूंगा. खेत की माटी में बैठे बिना, सही अर्थों में कृषि का कल्याण संभव नहीं. आगामी 24 जून को एक बार फिर से देशभऱ के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों एवं अन्य संस्थाओं के साथ वर्चुअल रूप से जुड़ते व्यापक मंथन होगा.
चौहान ने कहा कि तिलहन का उत्पादन बढ़ाना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है. सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए तत्परता से प्रयास किए जा रहे हैं. 26 जून को इंदौर में सोयाबीन उत्पादन पर अहम बैठक की जाएगी. वर्तमान बजट में ‘कपास मिशन’ की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद करता हूं. 27 जून को इसी संबंध में कपास पर गुजरात में अहम बैठक की जाएगी. आगे गन्ने की खेती के लिए भी विशेष बैठक उत्तर-प्रदेश में की जाएगी. समस्याओं के अनुरूप ही उनके समाधान खोजने की कोशिश और कारगर कार्यान्वयन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
अंत में शिवराज सिंह ने कहा कि नाफेड, एफपीओ सहित सभी संस्थाएं बेहतर काम कर रही हैं, लेकिन अभी भी अनंत संभावनाएं बाकि हैं. भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाने के लिए पूरे प्रयास करने होंगे. छोटी जोत होने के बावजूद हम ऐसा करके रहेंगे. एकीकृत खेती के लिए फार्म मॉडल तैयार किए जा रहे हैं. छोटी जोत में भी किसान को किस प्रकार से लाभ हो, इस पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है. किसानों के मान, सम्मान और शान में कमी नहीं आने देंगे. हम मिलकर कृषि को विकसित करने में योगदान करें, यही मेरा सभी से आह्वान है.
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