देश में रुपया की गिरावट का सिलसिला तेजी से जारी है. जहां कल तक भारतीय रुपए के मुकाबले डॉलर 79.98 था, वहीं अब एक डॉलर 80.05 के स्तर पर है. आपको बता दें कि आज सुबह डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये 7 पैसे की गिरावट को दर्ज किया गया है. देखा जाए, तो पिछले 8 सालों के मुकाबले रुपए की कीमत 25.39 प्रतिशत तक फिसल चुकी है.
क्यों कमजोर हुआ रुपया ? (Why did the rupee weaken?)
उच्च वैश्विक कच्चे तेल की कीमत (crude oil price) और बढ़ती मुद्रास्फीति ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की परेशानियां भी रुपया का कमजोर होना इसका मुख्य कारण है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन के युद्ध (Russo-Ukraine War) भी इसकी वजह मानी जा रही है. महामारी के बाद मंदी से उबर रही अर्थव्यवस्था भी रुपए का कमजोर होना माना जा सकता है.
रुपए के गिरावट का असर (Impact of rupee depreciation)
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देश में रुपए में लगातार गिरावट का असर सबसे पहले आयातकों पर देखने पर मिलेगा,क्योंकि व्यापारियों को समान इम्पोर्ट करने के लिए अब अधिक कीमत का भुगतान करना होगा, इसलिए देखा जाए, तो रुपए के कमजोर होने पर देश में आयात महंगा हो सकता है.
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भारत कई देशों में कच्चा तेल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वनस्पति तेल, फर्टिलाइजर, मशीनरी, सोना और अर्ध-कीमती स्टोनआदि उत्पादों का आयात करता है.
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रुपए का कमजोर होना शिक्षा पर भी असर डाल सकता है. बता दें कि विदेश में पढ़ाई करने का सपना देख रहे छात्रों के लिए इसका सबसे बुरा असर देखने को मिल सकता है.
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देश में आम जनता को महंगाई की मार का सामना करना पड़ सकता है.
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रुपए कमजोर होने पर सबसे अधिक असर देश के किसान भाइयों पर पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें उनकी फसल का सही दाम नहीं प्राप्त होगा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है. ऐसी स्थिति में यह सब महंगा हो सकता है और साथ ही रुपए कमजोर होने पर उर्वरकों के आयात पर इसका असर देखने को मिल सकता है.
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