देश में किसानों की आय बढ़ाने का सबसे अच्छा साधन मत्स्य पालन (Fish farming) होता है. क्योंकि इसके पालन से वह कम समय में ही अधिक कमाई कर सकते हैं. सरकार के इस कार्य के लिए किसान व पशुपालकों की मदद करते रहते हैं.
इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) ने बीते दिन यानी 5 सितंबर, 2023 को वाराणसी के रविदास घाट में रिवर रैचिंग का कार्यक्रम आयोजित किया गया. अब आप सोच रहे होंगे कि यह क्या है और इसका क्या काम होता है. दरअसल, बता दें कि रिवर रैचिंग एक तरह का कार्यक्रम है, जिसमें नदी से अलग-अलग प्रजाति की मछलियों को बाहर निकालकर हेचरी में मछलियों के बच्चों को तैयार किया जाता है.
उत्तर प्रदेश की राज्यमीन, चिताला के लुप्त होने की चिंताजनक समस्या के निवारण हेतु मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित चिताला मीन "river ranching" कार्यक्रम में सहभागी होकर, माँ गंगा को नैवेद्य स्वरूप इन मत्स्य अंगुलिकाओं को जल में प्रवाहित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। pic.twitter.com/i19ZPzIc8u
— Parshottam Rupala (@PRupala) September 5, 2023
देश में पहली बार यूपी करेगा रिवर रैचिंग
भारत में पहली बार गंगा में राज्यमीन (State Fish) चिताला की रिवर रैचिंग होगी. यह नदियों को प्रदूषण मुक्त और अन्य कई कार्यों में मददगार साबित होंगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित रिवर रैचिंग के मुख्य अतिथि मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम खोडाबाई रुपाला ने शिरकत की. वहीं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने की.
नदी में छोड़ी 1 लाख चिताला मछलियां
इस कार्यक्रम के दौरान वाराणसी की गंगा में करीब 1 लाख चिताला मछलियों के अंगुलिका बीज को छोड़ा. देखा जाए तो यह उत्तर प्रदेश में पहली बार हुआ है.
इस संदर्भ में मत्स्य विभाग का कहना है कि गंगा नदी में इतनी मछलियों के छोड़े जाने से नदियों में मछलियों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी. इसी के साथ राज्य के मत्स्य पालकों की आय में भी वृद्धि होगी. इसी के चलते उत्तर प्रदेश के वाराणसी के साथ-साथ अयोध्या के घाघरा, आगरा की यमुना नदी में भी रिवर रैचिंग का कार्य किए जाने पर जोर दिया जा रहा है.
विलुप्त हो रही चिताला मछली
मिली जानकारी के मुताबिक, देशभर में चिताला मछली (Chitala Fish) की प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. इस कार्यक्रम के तहत चिताला मछली की प्रजाति को बचाने का भी प्रयास किया जा रहा है जिससे इनकी प्रजातियों में वृद्धि हो सकें.
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