उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में इन दिनों गन्ने की किस्म सीओ-0238 में रोग का प्रकोप बढ़ने से किसानों को उनकी फसल से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में इस रोग के प्रकोप को खत्म करने के लिए विभाग की तरफ से गन्ने की कुछ नई और उन्नत किस्मों को गन्ने की किस्म सीओ-0238 को बदलने की पहल शुरू की गयी है. इसके लिए विभाग की तरफ से करीब 74.8 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधशाला का निर्माण किया गया है.
बता दें पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश में गन्ने की सीओ-0238 किस्म में लाल सडन रोग फ़ैल रहा है, जो किसानों एवं विभाग के लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है. इसलिए विभाग ने गन्ने की इस किस्म को बदलने की तैयारी की है. विभाग गन्ने की कुछ नई किस्में जैसे कोलक- 1402, कोशा एस- 13235 आदि अन्य उन्नतशील किस्मों की बुवाई शुरू कर दी है. जिसमें विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार किसानों को अगले माह में गन्ने की इन उन्नतशील किस्मों का बीज दिया जाएगा.
गन्ने की नई उन्नतशील किस्मों की खासियत (Characteristics Of New Improved Varieties Of Sugarcane)
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विभाग द्वारा मिली जानकारी में इन उन्नतशील किस्मों की खासियत के बारे बताया गया है की इन किस्मों में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक पाई जा रही है.
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यह किस्में लाल सडन रोग से मुक्त है.
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इन किस्मों में चीनी परता एवं पौधे और पेड़ का उत्पादन भी अच्छा माना जा रहा है.
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यह किस्में किसानों के लिए लाभदायी साबित होंगी.
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कितने हेक्टेयर में पौधशालाएं तैयार हुई (In How Many Hectare Nurseries Were Prepared)
गन्ने की कोलक-14201 किस्म की बुवाई के लिए करीब साढे़ पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधशाला तैयार की गयी है तो वहीँ गन्ने की सीओएस -13235 किस्म की बुवाई के लिए 69 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पौधशालाएं तैयार की गयी है.
बता दें गन्ने की सीओ-0238 किस्म किसानों, विभाग और चीनी मीलों के लिए बहुत लाभदायी किस्म मानी जाती है. लेकिन मौसम के बदलाव से इन दिनों गन्ने की इस किस्म में लाल सडन रोग का प्रकोप बढ़ गया है. जिससे फसल पूर्णरूप से बर्बाद हो रही है.
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