मासिक धर्म (पीरियड) के दौरान महिलाओं की सेहत और स्वच्छता से जुड़ा सेनेटरी नैपकिन का अब तक गुपचुप और अछूता रहा मुद्दाए पैड मैन फिल्म के बाद से आम चर्चा में आ गया है। फिल्म में उठाए गए सामाजिक मुद्दे के प्रति सरकार भी जागरूक है। सरकार सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता और उसके डिस्पोजल (निस्तारण) के बारे में एक नीति बनाने पर विचार कर रही है। अक्षय कुमार की यह फिल्म जागरुकता अभियान के तहत गांव-गांव में दिखाई जानी चाहिए ।
बुधवार को महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पैड मैन फिल्म की प्रोड्यूसर टिविंकल खन्ना, निदेशक आरण् बालकी और असली पैड मैन अरुणाचलम मुरुगन्थम से मीडिया से मुलाकात के मौके पर महिलाओं को सैनेटरी नैपिकन उपलब्ध कराए जाने के बारे में सरकार की नीति पर दैनिक जागरण के सवाल का जवाब देते हुए इस पर चल रहे विचार विमर्श का खुलासा किया। मेनका गांधी ने कहा कि ये मुद्दा कई मंत्रालयों से जुड़ा है। जैसे महिलाओं और बच्चों का मुद्दा उनके मंत्रालय के तहत आता है। लेकिन शिक्षा और स्कूल मानव संसाधन मंत्रालय में और सेहत स्वास्थ्य मंत्रालय का विषय है। ऐसे में इस पर नीति आयोग से चर्चा करके एक नीति बनाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अभी महाराष्ट्र व एक दो और राज्यों में स्कूलों में लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन दिये जाते हैं। बाकी जगह उसे उपलब्ध कराने की बात है। उन्होंने मुरुगंथम की कम लागत की सेनेटरी नैपकिन बनाने की मशीन के बारे में कहा कि मशीन की कीमत करीब 90000 है। ऐसे मे एक विचार यह भी हो सकता है कि सांसद निधि के पैसे से मशीनें खरीदी जाएं। उन्होंने कहा कि सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता के साथ ही उसके डिसपोजल का भी मुद्दा शामिल है। उसके सेफ डिसपोजल के लिए मशीनें लगाए जाने की भी जरूरत होगी। ये सारे मुद्दे हैं और इस पर चर्चा के लिए वे जल्दी ही एक बैठक बुलाएंगी। हालांकि उन्होंने सेनेटरी नैपकिन पर 12 फीसद जीएसटी को सही ठहराया। कहा कि ये 18 फीसद से 12 फीसद किया गया है। इसके पीछे कई कारण हैं।
इस दौरान फिल्म की प्रोड्यूसर ट्विकल खन्ना ने कहा कि वे पहले मुरुगंथम पर कहानी लिखना चाहती थीं लेकिन उन्हें लगा कि देश में पाठक से ज्यादा दर्शक हैं इसलिए बाद में उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की सोची। ट्विंकल ने कहा कि महिलाओं के मासिक धर्म का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा था जिस पर कोई चर्चा ही नहीं करता था जबकि ये महिला की सेहत और निजी स्वच्छता से जुड़ा अहम मुद्दा हैए पैड मैन फिल्म बनने से इस पर चर्चा शुरू हो गई है ये एक बड़ी बात है। मुरुगंथम ने कहा कि नौ महीने पहले जब टिविंकल ने उनसे उन पर फिल्म बनाने की बात कही थी तो उस समय उन्होंने साफ मना कर दिया था क्योंकि उन्हें लगता था कि फिल्म में काफी कुछ बनावटी होता है मसाला होता है लेकिन यह फिल्म काफी कुछ उनके जीवन से मिलती जुलती है। सेनेटरी पैड को आम बनाने वाले मुरुगंथम आजकल बिहार, उड़ीसा व उत्तरी राज्यों में महिलाओं की सेहत और स्वच्छता के लिए काम कर रहे हैं।
साभार
दैनिक जागरण
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