इन दिनों केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में खुशी की लहर है. कारण है वहां के चोपता रेंज के सौखर्क में कस्तूरी मृग का दिखाई देना. जब से ये मृग यहां के वन में दिखी है, विभाग में चारों तरफ उत्साह का माहौल है. ऐसा होने का सबसे बड़ा कारण है कस्तूरी मृग का अति दुर्लभ होना.
इस मृग को सबसे पहले यहीं की एक पेट्रोलिंग टीम ने देखा था. बिना देर किए पेट्रोलिंग टीम के कर्मचारियों ने इसकी फोटो कैमरे में कैद कर ली. फिलहाल चोपता रेंज के जंगलों में वन विभाग को आशा की नई किरण दिखाई दे रही है.
विलुप्ती की कगार पर हैं कस्तूरी मृग
गौरतलब है कि कस्तूरी मृग को यहां के जंगलों में बहुत सालों बाद देखा गया है. एक समय तक इसका इतना शिकार होता रहा कि वन अधिकारियों ने इसे विलुप्त जानवरों की श्रेणी में डाल दिया था. अब जबकि इसे एक बार फिर इस क्षेत्र में देखा गया है, ऐसे में चोपता रेंज की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
दुर्लभ है कस्तूरी हिरण
यहां के अधिकारी बताते हैं कि कभी चोपता रेंज वन प्रदेश में कस्तूरी हिरण कुलांचे मारते इधर-उधर स्वच्छंद होकर घुमते थे, फिर समय के साथ-साथ इनका शिकार बड़ी संख्या में होने लगा. 80 और 90 के दशक में इनकी जमकर कालेबाजारी हुई, जिस कारण इस प्रदेश से या तो ये पलायन कर गए या समाप्त हो गए.
कस्तूरी मृग को बचाना है लक्ष्य
वन अधिकारियों ने बताया कि इस समय उनका सबसे बड़ा लक्ष्य है उस हिरण को बचाना, क्योंकि कस्तूरी मृग सभी जानवरों की प्रिय शिकार होती है. आकार में छोटा होने के कारण, इस पर कोई भी जानवर आक्रमण कर सकता है.
वन अधिकारियों ने बताया कि कस्तूरी मृग जंगलों की पहड़ों की चट्टानों में खोहों बनाकर रहता है. इसे अपना निवास स्थान प्रिय होता है और भारी सर्दियों में भी ये उसे छोड़ना पसंद नहीं करता. यहां तक की भोजन की तलाश में दूर-दूर जाने के बाद भी अंत में ये अपने स्थान पर ही आ जाता है. आम तौर पर आराम करने के लिए मिट्टी में ये गड्ढा बनाता है या चट्टानों की बड़ी दरारों में रहना पसंद करता है.
भोजन के रूप में इसे घास, पत्ते, फूल या जड़ी बूटी आदि प्रिय होते हैं. शोर-शराबे से दूर एकांत जगह में ये निवास करना पसंद करता है. भारत में कस्तूरी की कालाबाजारी के लिए इन हिरणों का शिकार इतना अधिक हुआ है कि अब ये विलुप्ती के कगार पर आ गए हैं.
सुंदरतम जीव है कस्तूरी
भारत में इस नस्ल की हिरण मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के घने जंगलों में देखने को मिलता है. इस मृग को सुंदरतम जीवों की श्रेणी में रखा गया है और इसका वैज्ञानिक नाम मॉस्कस क्राइसोगास्ट है. आम भाषा में इसे "हिमालयन मस्क डिअर" भी कहा जाता है.
कस्तूरी मृग अपनी सुंदरता के साथ-साथ अपनी नाभि में पाए जाने वाली कस्तूरी के लिए भी दुनियाभर में जाना जाता है. गौरतलब है कि इस नस्ल की हिरणों में कस्तूरी केवल नर मृग में पाई जाती है. इसके उदर के निचे जननांग के समीप एक ग्रंथि से कस्तूरी स्रावित होती है.
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