पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायलय ने अमीर किसानों को मिल रही ट्यूबबेल पर सब्सिडी और मुफ्त बिजली की सुविधा को बंद करने को कहा है. हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि सरकार इस सुविधा को वापस क्यों नहीं ले लेती है? इस पर हाईकोर्ट ने दोनों ही सरकार से जबाव मांगा है अब इस मामले पर अगली सुनवाई 6 अगस्त को ही होगी. चीफ जस्टिस कृष्णा मुरारी एवं जस्टिस अरूण पल्ली की खंडपीठ ने यह आदेश इस मामले को लेकर एडवोकेट एच सी एरोड़ा ने एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए डाला था. पंजाब सरकार ने कहा था कि जिस नीति के तहत किसानों को खेतों में पंपसैट के लिए मुफ्त के लिए बिजली दी जा रही है. उसमें अमीर और गरीब में कोई फर्क नहीं रखा गया है. सब्सिडी की संबंधित सर्कुलर पर कहा गय़ा है कि कोई किसान अगर सब्सिडी को छोड़ना चाहता है तो वह किसी की स्वेच्छा से छोड़ सकता है. हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि इसे किसी स्वेच्छा पर नहीं छोड़ा जा सकता है. इस मामले में अब सरकार कार्रवाई करके इस सब्सिडी को वापस ले सकती है.
पंजाब सरकार ने 6 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में ही टयूबबेल के लिए मुफ्त बिजली दिए जाने के चलते सरकार को 6,113 करोड़ रूपये का पी एस पी सी एल का भुगतान करना पड़ा है. जबकि राज्य में नेताओं समेत कई अफसर भी अपने खेतों में मुफ्त में बिजली का इस्तेमाल कर रहे है. अरोड़ा ने हाईकोर्ट से मांग की है कि ऐसे अमीर किसानों जिनमें मुख्यमंत्री, अन्य पूर्व मंत्री और आई ए एस, आई पी एस समेत बड़े अफसर शामिल है. यह सब्सिडी सिर्फ गरीब और जरूरतमंद किसानों को ही दी जानी चाहिए. अमीरों को मिल रही सब्सिडी को तुरंत बंद कर देना चाहिए.
केवल जरूरतमंदों को ही मिले सब्सिडी
अरोड़ा ने कहा कि एक ओर सरकार अपने वित्तीय संकट का रोना रो रही है और अपने कर्मियों तक को समय पर वेतन तक नहीं दे पा रही है, दूसरी ओर खुद मंत्री नेता और बड़े-बड़े अधिकारी अपने खेतों में मुफ्त बिजली को इस्तेमाल कर रहे है और यह राशि सरकार के खजाने से पी एस सी पी एल को जारी कर दी जा रही है. लिहाजा किसे सब्सिडी दी जाए और किसे नहीं यह सरकार पहले इसको तय करें. इस सब्सिडी से क्रीमी लेयर को बाहर करे और जरूरूतमंदों को ही सब्सिडी दी जाए.
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