इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्दालय का हर्बल मेडिसिल प्लांट गार्डन इन दिनों किसानों के बीच काफी मशहूर हो रहा है। किसानों के बीच विवि की बढ़ती लोकप्रियता का कारण है किसानों को यहां के हर्बल मेडिसिल प्लांट गार्डन से हर्बल खेती के बारे में मिलने वाली जानकारी। किसान विवि से नई तकनीक को सिखकर खेतों में भी मेडिसनल गार्डन तैयार कर रहे हैं। कई तरह के मेडिसिनल प्लांट से निकलने वाले तेल के बारे में किसान अब जागरुक हो रहे हैं और इसकी खेती करना पसंद कर रहे हैं। और तकनिक के द्वारा खेती करने से किसनों कि आय में भी बढ़ोतरी होगी।
डॉ. एसएस टुटेजा की मानें तो (तकनीकी सलाहकार, अकास्टीय लघु वनोपज केंद्र, कृषि विवि), “इस गार्डन से कई किसान लाभान्वित हो रहे हैं और ज्यादा फायदा पहुंचाने वाली प्रजातियों की खेती से भी जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही आम लोग भी यहां से औषधीय पौधों को खरीदकर अपने घर पर मेडिसनल गार्डन बना रहे हैं”।
कई तरह के प्रजातियों का संरक्षण किया जा रहा है
विश्वविद्दालय के विभाग प्रभारी की मानें तो विवि में प्रदेश ही नहीं बल्कि जापानी प्रजातियों का भी संरक्षण जोरों से किया जा रहा है। इन औषधीय पौंधो का प्रयोग कई तरह की दवा बनाने के लिए किया जाता है। वहीं राज्य के कुछ किसान कई पौधों कि खेती कर रहे हैं। विवि की औषधीय उद्यान वाटिका में 130 से ज्यादा सुगंध वाले और औषधीय पौधों का संरक्षण किया जा रहा है। और इसके साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को इन पौधों की प्रशिक्षण और पौधों से कैसे तेल निकाला जाए इसमें अग्रसर भूमिका निभा रहा है। वहीं इन प्रजातियों में कुछ लुप्त होती प्रजातियां भी हैं।
हर्बल गार्डन में लगी प्रमुख औषधियां
औषधि वाटिका की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के विभिन्ना क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों को सुरक्षित रखना है। इसलिए अश्वगंधा, चित्रक, अकरकरा, चिरचिरा, बायडिंग, ब्राम्ही, पाषाणभेदी, गिलोय, गुडमार, घृतकुमारी, हरी चाय पत्ती आदि की उत्पादन पर विशेष ध्यान रखा जाता है।
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