पूरे देश में जैविक खेती को लेकर लोगों का नजरिया बदल रहा है, लोगों का रुझान भी इसमें बढ़ रहा है. यह रासायनिक मुक्त खेती करके किसान ज्यादा खुश है यही सब देखते हुए अब जैविक खेती और आगे पहुंचने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि अब जेल में भी जैविक खेती की जाएगी. केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण को इसका आधार बनाया गया है. इसके माध्यम से जेल में कंपोस्टिंग प्लांट लगाया जाएगा. इसके लिए कंपोस्ट यूनिट लगाई जा रही है. सब ठीक रहा तो बंदी जल्द जैविक खाद से खेती करते दिखाई देंगे. खास बात यह है कि जिस जैविक खाद का प्रयोग कृषि में होगा वह भी बंदी खुद जेल के कूड़े से तैयार करेंगे.
चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में लगभग 50 एकड़ कृषि भूमि है. कभी इस भूमि पर बंदी केवल गेहूं की फसल तैयार करते थे. बाद में कृषि भूमि पर बंदी सब्जी उगाने लगे. जेल की कृषि भूमि पर बंदी रसायनिक खाद से खेती करते आ रहे हैं. लेकिन अब से वह जैविक तरिके से ही काम करेंगे.
जैविक तरीके से खेती करेंगे
जैविक तरिके से जो खाद बनायेगे वो हमारे खेतों के लिए काफी लाभदायक साबित होगी. कंपोस्टिंग प्लांट लगने के बाद जैविक खाद के अलावा फसलों पर छिड़का जाने वाला कीटनाशक भी यहीं तैयार करने का प्रयास होगा. जिस से कैदियों को भी कोई हानि नहीं होगी.
कंपोस्टिंग प्लांट को संभालेंगे अब कैदी
कैदियों को रुझान को देखते हुए जेल में उन्हें यह काम सौंपा जाता है. कंपोस्टिंग प्लांट लगने के बाद इन बंदियों को खाद तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाती है, बाद में वही जेल के कूड़े से जैविक खाद तैयार करेंगे। जेल सूत्रों की मानें तो जेल से करीब 80 किलो से ज्यादा कूड़ा निकलता है. ऐसे में जैविक खाद का यह प्रयोग सफल साबित हो सकता है.
तो देखा आपने हमारे देश के कैदियों का जज़्बा, ऐसी ही अनेकों ख़ास जानकारियां कृषि जागरण वेबसाइट पर उपलब्ध हैं.
मनीशा शर्मा, कृषि जागरण
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