New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन करने जा रहे हैं. इस महोत्सव में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के एक हजार से ज्यादा कलाकार और कारीगर भाग लेंगे. केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के अनुसार, आदिवासियों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने और उनकी कला संस्कृति की पहचान बनाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. बता दें कि आगामी विधानसभा चुनावों और आम चुनाव को देखते हुए भी भाजपा आदिवासियों को रिझाने की हर कोशिश में लगी हुई है.
यह महोत्सव 16 से 27 फरवरी तक चलेगा. इसमें आदिवासी शिल्प, संस्कृति और उनके खान-पान की प्रदर्शनी लगेगी. इस कार्यक्रम में लगभग 500 से अधिक आदिवासी कारीगर हिस्सा लेंगे. इसके अलावा यहां पर आदिवासियों द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भी लुत्फ भी उठाया जा सकेगा. इस कार्यक्रम के जरिए “श्री अन्न” योजना का भी प्रमोशन होगा.
आदिवासी पकवानों में बाजरा का चूरमा, कोदो की खीर, रागी का हलवा, मांडिया का सूप, कश्मीरी रायता, भेल और कबाब रोगन जोश जैसे पकवान शामिल होंगे.
इस कार्यक्रम में आदिवासी संस्कृति, शिल्प, व्यंजन, व्यापार और पारंपरिक कला की प्रदर्शनी की जाएगी. यह आदि महोत्सव जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड की एक वार्षिक पहल है. कार्यक्रम स्थल पर 200 से अधिक स्टालों में देशभर की जनजातियों की समृद्ध और विविध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा
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बता दें, वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, ऐसे में हस्तशिल्प, हथकरघा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण जैसे सामान्य आकर्षणों के साथ, महोत्सव में विशेष ध्यान आदिवासियों द्वारा उगाए गए श्री अन्न को प्रदर्शित करने पर रहेगा. इस आदि महोत्सव में 13 राज्यों के आदिवासी रसोइए शामिल होंगे. जिनक द्वारा बनाए गए व्यंजनों को लुफ्त लोगों के द्वारा उठाया जा सकता है.
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