भारतीय बाजार में कीटनाशकों और खर-पतवारनाशकों जैसे खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थों का दाम कम से कम 20 पर्सेंट बढ़ सकता है। क्रूड ऑयल की वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी होने और चीन में कच्चे माल के कई कारखानों के बंद होने के कारण ऐसा हो सकता है। चीन दुनिया में ऐसे कच्चे माल का बड़ा उत्पादक है।
भारत दुनियाभर में अमेरिका, जापान और चीन के बाद चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत एग्रोकेमिकल्स के लिए कच्चे माल यानी टेक्निकल्स की अपनी जरूरत का करीब 60 पर्सेंट हिस्सा चीन से आयात करता है। चीन दुनिया में टेक्निकल्स की जरूरत के लगभग 90 पर्सेंट की आपूर्ति करता है।
जनवरी 2016 में क्रूड के दाम 25-30 डॉलर प्रति बैरल थे, लेकिन साल के अंत तक बढ़कर 50-55 डॉलर प्रति बैरल हो गए थे। इसके चलते क्लोरिन, यलो फॉस्फोरस और ब्रोमीन सहित कई टेक्निकल्स के दाम उछल गए। एनालिस्ट्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों का कहना है कि इसका सीधा दबाव कई फसलों में इस्तेमाल किए जाने वाले पेस्टिसाइड्स और इनसेक्टिसाइड्स जैसे फॉर्मूलेशंस यानी तैयार एग्रोकेमिकल्स के दाम पर पड़ता है। रेटिंग एजेंसी इकरा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के रविचंद्रन ने कहा, 'पिछले साल से ही टेक्निकल्स के दाम चढ़ रहे हैं। फिस्कल ईयर 2016-17 के चौथे क्वॉर्टर में इनमें औसतन 15-20 पर्सेंट का उछाल आया है। इसी दौरान क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी आनी शुरू हुई थी।'
Share your comments