केंद्र सरकार का आगामी आम बजट पेश होने वाला है. इस दौरन किसानों के लिए कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं. इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार ने किसानों के खाते में खाद सब्सिडी डालने पर विचार किया है. अगर ऐसा हुआ, तो किसान अपनी पसंद से खाद खरीद सकेंगे. सभी जानते हैं कि बड़े और छोटे किसानों को खेती-बाड़ी करने में कई अहम चीजों की ज़रूरत पड़ती है. ऐसे में सरकार उनकी हर छोटी सी छोटी ज़रूरत की ओर ध्यान दे रही है, ताकि हमारे देश में किसानों की स्थिति में और सुधार हो सके, साथ ही आने वाले समय में किसान की आय दोगुनी हो जाए.
किसानों के खाते में खाद सब्सिडी डालने पर चर्चा
कृषि क्षेत्र में सरकार काफी गंभीरता से काम कर रही है. अगर केंद्र सरकार किसानों के खाते में खाद सब्सिडी डालती है, तो किसानों को खाते में वैसे ही सब्सिडी का पैसा भेजा जाएगा, जैसे गैस सिलेंडर का भेजा जाता है. अब तक किसान सम्मान निधि द्वारा किसानों को लगभग 49,000 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं, जिससे लगता है कि जिन खाद पर सरकार सब्सिडी देती है, उनके लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की व्यवस्था हो सकती है.
क्रेडिट कार्ड या जनधन खाता से खरीदेंगे खाद
सरकार की तरफ से खाद सब्सिडी मिलेने पर किसान अपने किसान क्रेडिट कार्ड या जनधन खाता से खाद खरीद पाएगा, साथ ही किसान वही चीज खरीद सकता है, जिसकी उसे जरूरत है. इफको की मानें, तो पिछले 3 साल से यूरिया का उपयोग घटाने की दिशा में नैनो नाइट्रोजन के विकास पर काम हो रहा है. इसके लिए इफको ने वैश्विक स्तर पर पेटेंट करा लिया है. इसे पिछले साल 3 नवंबर को कलोल इकाई में लॉन्च किया गया है.
नैनो नाइट्रोजन के विकास में लगी इफको
आपको बता दें कि नैनो नाइट्रोजन की 500 मिली की एक शीशी है, जो एक बोरी यूरिया के बराबर काम करती है. इसका ट्रायल लगभग 15 हजार जगहों पर हो रहा है. खास बात है कि अप्रैल या मई में इसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऐक्ट में शामिल करने के लिए आवेदन किया जाएगा. इसके बाद सरकार की मंजूरी मिलने पर इसको बाजार में लाया जाएगा.
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का दावा
इफको ने योजना बनाई है कि नैनो नाइट्रोजन का संयंत्र लगाने पर लगभग 100 करोड़ रुपये निवेश होगा. नैनो नाइट्रोजन को यूरिया से नाइट्रोजन अलग कर तैयार किया गया है, जिसके उपयोग से ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी.
सरकार सब्सिडी पेमेंट का रोडमैप तैयार कर रही है
तकरीबन भारत में 29 प्रतिशत यूरिया भी इंपोर्ट करना पड़ता है. इसको घटाने के अलावा बजट में सरकार ऐलान कर सकती है कि उर्वरक पर सब्सिडी पेमेंट के लिए चीनी मॉडल को अपनाया जाए, साथ ही सभी तरह की फर्टीलाइजर सब्सिडी इनपुट के आधार पर तय करने का प्रस्ताव है.
अन्य विकसित काम
इसके अलावा इफको ने नैनो जिंक भी विकसित किया है, जोकि जिंक सल्फेट से सस्ता होगा, तो वहीं नैनो कॉपर विकास किया है, जो एक फंगीसाइड है. इन दोनों को पूरी तरह से जैविक उत्पाद कहा जा सकता है. बता दें कि नीम के पौधे के विकास और बायोमास कैसे बढ़े, इस पर भी इफको पिछले 5 साल से एक परियोजना चला रही है. इसकी बायो सेफ्टी कमेटी जीव-जंतु और वातावरण में प्रभाव की जांच जून या जुलाई में होगी, तो वहीं इफको को सितंबर या अक्टूबर तक पौधा मिलने की संभावना है. इसकी ख़ास बात होगी कि नीम का यह पौधा 5 साल में पूर्णरूप से वृक्ष बन जाएगा, जो आमतौर पर 10 साल का समय लेता है. ऐसे में जैविक कीटनाशक बनाने में नीम की अहम भूमिका हो सकती है.
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