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Sagar Parikrama: केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रुपाला ने सागर परिक्रमा यात्रा के 12वें चरण के दौरान आज पश्चिम बंगाल पहुंचे है. सागर परिक्रमा के 12वें चरण कार्यक्रम की शुरुआत पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में मछुआरों और मछुआरे महिलाओं द्वारा केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला का गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जिसके बाद लाभार्थियों (मछुआरे और मछली किसान आदि) के साथ उन्होंने बातचीत की.
परषोत्तम रूपाला (केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी, भारत सरकार) नीतू कुमारी प्रसाद (संयुक्त सचिव, भारत सरकार) डॉ. एल.एन मूर्ति (मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, भारत सरकार) मछुआरा संघ और मछुआरा कल्याण, पश्चिम बंगाल सरकार की उपस्थिति में सागर परिक्रमा चरण-XII का नेतृत्व किया है.
उन्होंने कहा, पीएमएमएसवाई योजना के तहत लगभग 150 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, जिसमें हैचरी, सजावटी मछली इकाई, इंसुलेटेड वाहन, मछली चारा भोजन, दोपहिया वाहन, ऑटो रिक्शा शामिल हैं, जिसके परिणामस्वरूप जिले के लगभग 750 मछुआरों को लाभ मिला है और लगभग 16,000 केसीसी लाभार्थियों को वितरित किए गए हैं. उन्होंने कहा, सामने आ रही चुनौतियों पर जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
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आगे बढ़ते हुए सागर परिक्रमा यात्रा चरण-बारहवें शंकरपुर फिशिंग हार्बर पहुंची. केंद्रीय मंत्री और अन्य सार्वजनिक अधिकारियों ने लाभार्थियों के साथ बातचीत की. केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शंकरपुर फिशिंग हार्बर के लिए लगभग 45 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है. उन्होंने यह भी अपनी राय साझा की है कि पीएमएमएसवाई योजना की गतिविधियों के संचालन से भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, इसका उद्देश्य मत्स्य पालन के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने के माध्यम से मछली के उत्पादन, उत्पादकता को बढ़ाना है. लाभार्थियों ने अपनी सफलता की कहानियां साझा की और यह बताया कि उन्हें पीएमएमएसवाई योजना के तहत संपत्तियों (जैसे आइसबॉक्स के साथ दोपहिया वाहन) से लाभ प्राप्त हुआ है.
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आगे बढ़ते हुए, केंद्रीय मंत्री और अन्य सार्वजनिक अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के पेटुआघाट फिशिंग हार्बर, बक्खाली और गंगा सागर जैसे विभिन्न तटीय क्षेत्रों में मछुआरों और मछली किसानों के साथ जमीनी स्तर पर बातचीत जारी रखी. केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ मत्स्य पालन विकास के अवसरों के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि पीएमएमएसवाई कार्यक्रम का भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र पर पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने मछुआरों, मछली किसानों को अपने अनुभव साझा करने और मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास को बढ़ाने के लिए तंत्र का सुझाव देने के लिए धन्यवाद दिया. बता दें, लगभग 4,200 मछुआरों, विभिन्न मत्स्य पालन हितधारकों, विद्वानों ने सागर परिक्रमा चरण- XII कार्यक्रम में भौतिक रूप से भाग लिया है.
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