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पराली प्रबंधन नीतियों को राज्यों ने किया अनदेखा कारणवश दिल्ली धुंए की चपेट में

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर को धूल और धुएं से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पड़ोसी राज्यों को पर्याप्त वित्तीय मदद भी मुहैया कराई है, फिर भी कोई संतोषजनक नतीजा नहीं निकला। वैसे तो केंद्र सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा भी तैयार कर सभी राज्य सरकारों को भेजा था, जिसे राज्यों ने कोई बहुत तरजीह नहीं दी है। नतीजतन, दिल्ली समेत पूरा एनसीआर धुएं व धूल की चपेट में है।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर को धूल और धुएं से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने पड़ोसी राज्यों को पर्याप्त वित्तीय मदद भी मुहैया कराई है, फिर भी कोई संतोषजनक नतीजा नहीं निकला। वैसे तो केंद्र सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति का मसौदा भी तैयार कर सभी राज्य सरकारों को भेजा था, जिसे राज्यों ने कोई बहुत तरजीह नहीं दी है। नतीजतन, दिल्ली समेत पूरा एनसीआर धुएं व धूल की चपेट में है।

मौसम बदलने, हवा की गति धीमी पड़ने और तापमान के घटने से भी हवा में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ी है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने तीन साल पहले ही पराली प्रबंधन को लेकर एक राष्ट्रीय तैयार किया था, जिसे राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा भी गया।

मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक किसी भी राज्य ने इस मसौदे के आधार पर अपनी नीति तैयार नहीं की है।मंत्रालय का मानना है कि धान की पराली का खेतों में ही जला देना पर्यावरण के लिहाज से सबसे बड़ी समस्या है। कंबाइन हार्वेस्टर जैसी बड़ी मशीनों के प्रयोग से मुश्किलें और गंभीर हुई हैं। हालांकि इन मशीनों से गेहूं की भी कटाई होती है, लेकिन उसकी 90 फीसद पराली से पशुओं के लिए भूसा तैयार कराया जाता है। केवल 10 फीसद पराली ही चलाई जाती है। मंत्रालय का मानना है कि पराली जलाने से खेतों के पोषक तत्व का नुकसान होता है। मात्र एक टन पराली जलाने से 5.5 किलो नाइट्रोजन, 2.3 किलो फास्फोरस, 25 किलो पोटैशियम और 1.2 किलो सल्फर नष्ट होता है। इससे खेत की जैविक कार्बन को भी नुकसान पहुंचता है। किसान के खेत को होने वाले नुकसान के साथ हवा में जहरीला धुंआ घुल जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।

इससे बचने के लिए कृषि मंत्रालय ने उत्तरी राज्यों को पराली प्रबंधन में काम आने वाले उपकरण खरीदने के बाबत धन आवंटित किया है। इसके मुताबिक पंजाब को 49 करोड़, हरियाणा को 45 करोड़, उत्तर प्रदेश को 30 करोड़ और राजस्थान को नौ करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष 2017-18 में ही जारी किया गया है। इससे राज्यों में कृषि मशीनरी की खरीदने को कहा गया है। लगातार दबाव के बावजूद इन राज्यों से बहुत सकारात्मक नतीजे नहीं मिल पाये हैं। इसे लेकर कृषि मंत्रालय ने सख्त नाराजगी भी जताई है।

English Summary: Parli management policies have been ignored by the states due to Delhi's grip of smoke. Published on: 15 October 2017, 03:33 AM IST

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