दिल्ली के उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर वैज्ञानिक-कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजित किया गया. कार्यक्रम के दौरान किसानों को विभिन्न प्रदर्शनी के माध्यम से फसल अवशेषों को मशीनों के द्वारा प्रबंधन करने की विस्तृत जानकारी दि गई. कार्यक्रम में दिल्ली के विभिन्न गांव के लगभग 300 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया. वहीं फसल अवशेषों के प्रबंधन को सिखने में महिला किसान भी पीछे नहीं थी, उन्होंने भी फसल अवशेष से होने वाले लाभ और हानी के बारे में जानकारी ली. कार्यक्रम में फसल अवशेष के बेहतर प्रबंधन के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के अतिरिक्त महानिदेशक रणधीर सिंह मौजूद थे जिन्होंने किसानों को फसल अवशेष को जलाने की बजाय खाद बनाने से लेकर और कई तरह की जानकारी मुहैय्या करवाई.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ हर्ष वर्धन (केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री) मौजूद थे और कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बिजेन्द्र सिंह (पूर्व विधायक) ने की. साथ ही डॉ.पी.के (प्रोग्राम कॉर्डिनेटर केवीके और अध्यक्ष राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान परिषद) भी कार्यक्रम में मौजूद थे. इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कहा की फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण को काफी नुक्सान पहुंच रहा है. कटाई के बाद बचे फसल अवशेष को जलाने के बजाये इसका प्रबंधन करना चाहिए. यह प्रबंधन खेत में ही होना चाहिए. पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में किसान भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने केंद्र सरकार दवारा किसानो के लिए चलाई जा रही अनेक योजनाओ का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा की अभी देश में करीब 9.3 करोड़ किसानों को मंत्रालय की ओर से मौसम से सम्बंधित जानकारियां दी जा रही हैं. इससे किसानो को सीधे तौर पर फायदा हो रहा है. डॉ हर्षवर्धन ने कहा की सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. सरकार की कई योजनाओं के तहत युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण के उपरांत युवा न सिर्फ अपना व्यवसाय कर सकते हैं, बल्कि वे इस स्थिति में रहेंगे की वे दूसरों को भी रोजगार दे सकते हैं. कार्यक्रम में उपस्थित महिला किसान से महिला उद्यमी बनी कृष्णा यादव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज किसान केवल किसान नहीं, बल्कि उद्यमी बन चुके हैं, और अपनी मेहनत और लगन से कोई भी इस मुकाम को हासिल कर सकता है. इस दौरान कई सफल कृषक उद्यमीयों ने भी अपने अनुभव को साझा किया.
डॉ बिजेंद्र सिंह ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार किसानों के लिए कई तरह के कार्य कर रही जिससे किसानों को लाभ मिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने डॉ. हर्षवर्धन के समक्ष एक छात्रावास का भी प्रस्ताव रखा और कहा कि उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में दूर-दूर से लोग कोर्स करने आते हैं. ऐसे में यहां एक किसान छात्रावास की जरूरत है. इसके साथ ही उन्होंने कृष्णा यादव के बारे में कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत से सफलता हासिल की है. आगे उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की सराहना करते हुए कहा कि कृष्णा जैसी लगभग और हजारों महिलाए हैं जिनको केवीके की मदद मिली है.
डॉ.पी.के ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त करना है, जिसमे कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली अहम भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि आज का यह कार्यक्रम किसानों को पराली की समस्या से निजात दिलाने के लिए आयोजित किया गया है जो किसानों के लिए काफी लाभकारी है. उन्होंने कहा कि किसानों के द्वारा फसल अवशेष जलाने से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि उनकी जमीन की उर्वक क्षमता भी कम होती है और इससे किसानों को नुकसान पहुंचता है. उन्होंने आगे कहा कि किसानों के लिए इस तरह के आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र में आगे भी होते रहेंगे. वहीं कार्यक्रम में पी.एस. सैनी संयुक्त निदेशक दिल्ली सरकार और नजफ़गढ़ की कांउस्लर सुमन डागर भी मौजूद थीं.
जिम्मी
Share your comments