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नई दिल्ली : कृषि विज्ञान केंद्र उजवा के द्वारा ग्राम रानीपुर में 20 सितंबर को मूंग की फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया. दिल्ली से सटे विभिन्न गावों में कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा 10 हेक्टेयर मूंग पर कलस्टर पंक्ति प्रदर्शन लगाये गए. कलस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत मूंग की MH-421 किस्म का चयन किया गया. कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. अमरपाल सिंह ने किसानों को फसल चक्र में दलहनी फसलों को सम्मलित करने पर ज़ोर दिया. उन्होंने बताया कि दलहनी फसल वायुमण्डल से नाइट्रोजन का स्थरिकरण करती हैं जिनका प्रभाव मृदा स्वास्थ व आगे आने वाली फसल पर अच्छा पड़ता है.
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वैज्ञानिक विधि से मूंग की खेती की जानकारी:
आधुनिकिकरण के इस दौर में कई किसान आज भी परंपरातगत और पूराने तरिके से चल रहे खेती को ही अपना रहे हैं. परंपरागत ढ़ंग से चली आ रही खेती से किसानों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता और उन्हें नुकसान सहना पड़ता है. कलस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के जरिए किसानों को मूंग की वैज्ञानिक विधि से मूंग की खेती के बारे में बताया गया. इससे किसानों को अधिक मात्रा में लाभ व समय- समय पर प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई.
कार्यक्रम में मृदा विज्ञान विशेषज्ञ ने दलहनी फसलों से मृदा में होने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. बता दें की के.वी.के द्वारा आयोजित इस प्रक्षेत्र दिवस के मौके पर 45 किसानों ने भाग लिया और मूंग की वैज्ञानिक खेती के बारे में जानकारी दी.
जिम्मी
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