केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अंडमान निकोबार में एक किसान मेले को संबोधित करते हुए कहा कि छोटे एवं सीमांत किसानों को अधिक लाभ कमाने के लिए जैविक खेती अपनाना चाहिए। इस बीच संबोधन के दौरान उन्होंने कहा जैविक उत्पाद बढ़ाने के उद्देश्य से किसानों को तीन वर्षों के लिए 50,000 रुपए प्रति हैक्टेयर के हिसाब से अनुदान राशि दी जा रही है। प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 10,000 क्लस्टरों के गठन 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के लिए कवर किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस द्वीप समूह में व्याप्त सीमित संसाधनों को देखते हुए तथा द्वीपों में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 23 जून, 1978 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा द्वीपसमूह में स्थित विभिन्न कृषि अनुसंधान केन्द्रों का विलय कर केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान का गठन किया गया। यह संस्थान, कृषि अनुसंधान एवं विकास की विभिन्न जरूरतों को पूरा करता हैं तथा अनुकूल एवं मौलिक अनुसंधान के माध्यम से फसलों, बागवानी उत्पादों, पशुधन और मत्स्य पालन में उत्पादकता तथा उत्पाद गुणवत्ता को बढ़ानें के लिए विभिन्न नवीन शोध कार्यों को करने हेतु तत्पर हैं।
सिंह ने इस अवसर पर यह भी कहा कि उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान और इन द्वीपों में आकर तथा हितधारकों के साथ जैविक खेती से संबंधित महत्वपूर्ण बातें साझा करके काफी प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसान जो कृषि लागत की खरीद के लिए असमर्थ है वे जैविक खेती की ओर उन्मुख हो सकते है जिसका खर्च कम है और मुनाफा ज्यादा। जैविक खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल अंडमान निकोबार द्वीप समूह ने छोटे स्तर पर, (321 हैक्टेयर जैविक क्षेत्र) जैविक खेती को अपनाना शुरू कर दिया है।
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