आसमान छूती कीमत के बाद, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान द्वारा गुरुवार को दावा किए जाने के बाद अब प्याज फिर से विवादों में आ गया है, क्योंकि खुदरा और थोक दोनों बाजारों में प्याज की कीमतें ठंडी होने लगी हैं. केंद्र ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लगाने का फैसला किया है. महाराष्ट्र के बड़े किसान संगठन और शतकरी संगठन ने यह घोषणा की है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लागू करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने में केंद्र विफल रही तो 7 अक्टूबर से सभी प्याज बाजार अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगे.
राष्ट्रीय राजधानी और देश के कुछ अन्य हिस्सों में पिछले कुछ हफ्तों से खुदरा प्याज की कीमतें 60 से 70 प्रति किलोग्राम पर थीं, जो गुरुवार को घटकर 60 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ गया था. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने मीडिया से कहा था कि “हमें किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और थोक व्यापारियों द्वारा 100 क्विंटल की स्टॉक सीमा और थोक व्यापारियों द्वारा 500 क्विंटल लगाए जाने के बाद प्याज की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है."
उन्होंने कहा कि 56,000 टन प्याज के केंद्रीय बफर स्टॉक में से, 18,000 टन का निपटान कर दिया गया है और जिसमें से लगभग 15,000 टन नमी के नुकसान के कारण सूख गए हैं. “हमारे पास अभी भी हमारे स्टॉक में 25,000 टन प्याज है. पासवान ने यह भी कहा कि हम राज्य सरकारों से 23.90 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की आपूर्ति करने और कीमतें स्थिर रखने के लिए कह रहे हैं.
गौरतलब है कि केंद्र के इस फैसले ने प्याज की खेती करने वाले किसानों और व्यापारियों को बड़ी परेशानी में डाल दिया है. यह निर्णय प्याज वितरण चक्र को परेशान करेगा. सरकार ने प्याज की खेप रोक दी है. जिस वजह से असंगत नीतियों के कारण भारत अंतर्राष्ट्रीय प्याज बाजार को खो सकता है.”मीडिया से बात करते हुए, शेतकरी संगठन के अध्यक्ष अनिल घणावत ने कहा कि सरकार के फैसले से किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार के फैसले की वजह से प्याज का मूल्य 50 रुपये प्रति किलो तक चढ़ गया था, जो घटकर अब 25 रुपये प्रति किलो हो गया है. जिससे किसानों को भारी नुकसान का मुँह देखना पड़ सकता है.
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